रॉबर्ट हुक

रॉबर्ट हुक

रॉबर्ट हुक

जन्म: 18-07-1635 (इंग्लैंड)
मृत्यु: 03-03-1703 (इंग्लैंड)
राष्ट्रीयता: ब्रिटिश

सत्रहवीं शताब्दी के श्रेष्ठ वैज्ञानिकों में से एक माने जानेवाले रॉबर्ट हुक का जन्म 18 सितंबर, 1635 को इंग्लैंड के दक्षिणी समुद्री तट पर स्थित एक स्थान पर हुआ था।

मात्र 13 वर्ष की उम्र में ही उनके पिता का देहांत हो गया था। वेस्टमिंस्टर स्कूल में स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद रॉबर्ट हुक क्राइस्टचर्च ऑक्सफोर्ड में पढ़ने गए। इससे पूर्व वे एक प्रसिद्ध चित्रकार के सहायक के रूप में भी कार्य कर चुके थे। ऑक्सफोर्ड में हुक ने न केवल एक प्रतिभावान् छात्र वरन् गायक, नक्शानवीस, चित्रकार व शिल्पी के रूप में भी कार्य करके अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। वे लकड़ी व धातु से चीजें बनाने में माहिर थे।

ऑक्सफोर्ड में ही रॉबर्ट हुक की भेंट रॉबर्ट बॉयल नामक श्रेष्ठ वैज्ञानिक से हुई। बॉयल ने हुक को अपनी प्रयोगशाला में सहायक के रूप में रख लिया। बायल ने शून्य उत्पन्न करने के लिए जब पंप विकसित किया तो हुक को भी श्रेय दिया, हालाँकि वह पंप बॉयल के नाम से ही जाना जाता रहा। उन्हीं दिनों क्रिस्टोफर रेन नामक गणितज्ञ की नियुक्ति ऑक्सफोर्ड में खगोल-शास्त्र के प्राध्यापक के रूप में हुई। ज्यामिति के क्षेत्र में वे पहले ही अद्भुत कार्य कर चुके थे। बाद में वास्तुकला के क्षेत्र में उन्होंने कार्य किया, जिसकी जीती-जागती मिसाल सेंट पॉल गिरजाघर है। उन्होंने अपने निवास पर श्रेष्ठ वैज्ञानिकों को एकत्रित करने का कार्य किया और इसी से ‘रॉयल सोसाइटी’ की स्थापना हुई। रॉबर्ट हुक को प्रारंभ में रॉयल सोसाइटी के फैलो वैज्ञानिकों द्वारा किए जाने वाले प्रयोगों के लिए उपकरण तैयार करने हेतु रखा गया।

इस क्रम में उन्हें विज्ञान की विभिन्न शाखाओं से परिचित होने का अवसर मिला। वे प्रयोगों में भी महारत हासिल करते चले गए। अनुभव पाने के साथ-साथ उन्होंने भूगर्भ-शास्त्र तथा खगोल-शास्त्र जैसे विषय भी पढ़ाए। अपने कमजोर शरीर के बावजूद वे प्रगति करते चले गए। उन्होंने न केवल उपकरणों का निर्माण किया वरन् कंपाउंड माइक्रोस्कोप की डिजाइन भी तैयार की। 

उन्होंने बहुत छोटी-छोटी चीजों जैसे मक्खी की आँख के चित्र भी तैयार किए। माइक्रोस्कोप संबंधी अध्ययन व उपयोग को उन्होंने अपनी पुस्तक ‘माइक्रोग्राफिया’ में दर्ज किया। इसमें उन्होंने प्रकाश के संबंध में अपने सिद्धांत को भी व्यक्त किया, जिसके अनुसार उन्होंने प्रकाश को तरंग माना और यह बताया कि प्रकाश की तरंगों में कंपन उसकी आगे बढ़ने की दिशा के लंबवत् होते हैं। उन्होंने प्रकाश के रंगों के बारे में भी अपने विचार दिए; पर वे अपूर्ण थे और इसके अनुसार दो ही मौलिक रंग थे—लाल व नीला। हुक ने भी गुरुत्वाकर्षण संबंधी सिद्धांतों के प्रतिपादन का प्रयास किया, पर वे न्यूटन की भाँति गणितज्ञ नहीं थे। हुक और न्यूटन की प्रतिद्वंद्विता में न्यूटन भारी पड़े, पर वैज्ञानिक उपकरण तैयार करने में उनका कोई जवाब नहीं था।

लंदन के पुनर्निर्माण हेतु नक्शे तैयार करने में भी हुक का योगदान था। उन्होंने सर्वेक्षण हेतु भी अनेक उपकरण तैयार किए। घडि़यों के बैलेंस व्हील हेतु स्प्रिंग, कंपाउंड माइक्रोस्कोप, व्हील बैरोमीटर आदि उन्होंने तैयार किए। इसके अलावा उन्होंने खगोल-शास्त्र हेतु भी उपकरण तैयार किए, जिनसे मंगल ग्रह का घूर्णन व जुड़वाँ तारे देखे। मौसम की जाँच हेतु उन्होंने आर्द्रता मापी भी तैयार किए। मौसम के आकलन में सूर्य के विकिरण और पृथ्वी के घूर्णन का प्रभाव भी उन्होंने समझाया।

इलास्टिसिटी के क्षेत्र में हुक का नियम, जो सन् 1676 में प्रकाशित हुआ, यह बतलाता है कि बल जितना ज्यादा होगा, खिंचाव उतना ही ज्यादा होगा। यदि 1 पाउंड बल से स्प्रिग में 1 इंच खिंचाव होता है तो 2 पाउंड बल से 2 इंच खिंचा होगा। इससे स्प्रिंग तराजू तैयार हुआ। अपने तराजू का उपयोग हुक ने सेंट पॉल गिरजाघर की चोटी पर भी किया और यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि ज्यों-ज्यों ऊँचाई बढ़ती है, गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभाव कम होता है।

हुक ने अनेक ऐसे काम भी किए, जो अधूरे थे और बाद के वैज्ञानिकों ने उन्हें पूर्ण करके आविष्कार कर श्रेय पाया। उन्होंने अपनी घड़ी के कंपनों को मापने का तंत्र तैयार किया और भावी स्टेथेस्कोप की कल्पना की, जो 150 वर्ष बाद पूर्ण रूप ले पाया। कॉक की संरचना की जाँच उन्होंने अपने माइक्रोस्कोप से की थी और उसके रेशे को सैल कहा था और इस प्रकार कोशिका की अवधारणा बनी थी। उन्होंने उसका चित्र भी तैयार किया था। हुक को अनेक आविष्कारों का श्रेय नहीं मिल पाया।

उस समय पेंडुलम घडि़याँ आम प्रयोग में थीं और गरमियों में वे सुस्त हो जाया करती थीं। हुक ने बैलेंस व्हील तथा हेयर स्प्रिंग का प्रयोग करके बेहतर घड़ी तैयार की, जो अधिक सटीक समय देती थी। पर क्रिश्चियन ह्यूजेंस ने वैसा तंत्र बनाकर पेटेंट हासिल कर लिया। हुक ने अपने काम की परवाह ही नहीं की। सन् 1682 तक रॉबर्ट हुक रॉयल सोसाइटी के सचिव रहे और फिर अध्यक्ष बने और मृत्युपर्यंत उस पद पर रहे। 18 जुलाई, 1703 को उनका देहांत हो गया। हालाँकि न्यूटन के साथ विवादों के कारण उनकी प्रतिष्ठा में कमी आई, पर फिर भी उनके नियम का प्रयोग करते समय हम उन्हें याद करते हैं।

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