थॉमस अल्वा एडिसन

थॉमस अल्वा एडिसन

थॉमस अल्वा एडिसन

जन्म: 11 फ़रवरी 1847 मिलान, ओहायो, संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A)
मृत्यु: अक्टूबर 18, 1931 (उम्र 84) वेस्ट ऑरेंज न्यू जर्सी, संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A)
पिता: सैमुअल ऑग्डेन एडिसन
माता: नैंसी मैथ्यु इलियट
जीवनसंगी: मैरी स्टिलवेल (वि॰ 1871–84) ,मीना मिलर (वि॰ 1886–1931)
बच्चे: 1. मैरियन एस्टेल एडीसन (1873–1965) 2.थॉमस अल्वा एडीसन जूनियर (1876–1935) 3.विलियम लेस्ली एडीसन (1878–1937) 4 .मेडेलीन एडीसन (1888–1979) 5 .चार्ल्स एडीसन (1890–1969) 6.थिओडर मिलर एडीसन (1898–1992)
राष्ट्रीयता: अमेरिकी
शिक्षा: स्कूल छोड़ दिया

जीवन परिचय :--

महान् आविष्कारक थॉमस ऐल्वा एडिसन का जन्म ओहायो राज्य के मिलैन नगर में 11 फ़रवरी 1847 ई. को हुआ। बचपन से ही एडिसन ने कुशाग्रता, जिज्ञासु वृत्ति और अध्यवसाय का परिचय दिया। छह वर्ष तक माता ने घर पर ही पढ़ाया, सार्वजनिक विद्यालय में इनकी शिक्षा केवल तीन मास हुई। तो भी एडिसन ने ह्यूम, सीअर, बर्टन, तथा गिबन के महान ग्रंथों एवं डिक्शनरी ऑव साइंसेज़ का अध्ययन 10वें जन्मदिन तक पूर्ण कर लिया था।

थॉमस एल्वा एडिसन (11 फ़रवरी 1847 - 18 अक्टूबर 1931) हान अमरीकी आविष्कारक एवं वीध्वांत व्यक्ति थे।फोनोग्राफ एवं विद्युत बल्ब सहित अनेकों युक्तियाँ विकसित कीं जिनसे संसार भर में लोगों के जीवन में भारी बदलाव आये। "मेन्लो पार्क के जादूगर" के नाम से प्रख्यात, भारी मात्रा में उत्पादन के सिद्धान्त एवं विशाल टीम को लगाकर अन्वेषण-कार्य को आजमाने वाले वे पहले अनुसंधानकर्ता थे। इसलिये एडिसन को ही प्रथम औद्योगिक प्रयोगशाला स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। अमेरिका में अकेले 1093 पेटेन्ट कराने वाले एडिसन विश्व के सबसे महान आविष्कारकों में गिने जाते हैं। एडीसन बचपन से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे

एडिसन 12 वर्ष की आयु में फलों और समाचारपत्रों के विक्रय का धंधा करके परिवार को प्रति दिन एक डालर की सहायता देने लगे। वे रेल में पत्र छापते और वैज्ञानिक प्रयोग करते। तार प्रेषण में निपुणता प्राप्त कर 20 वर्ष की आयु तक, एडिसन ने तार कर्मचारी के रूप में नौकरी की। जीविकोपार्जन से बचे समय को एडिसन प्रयोग और परीक्षण में लगाते थे।


अनुसंधानओं का आरम्भ :--

1869 ई. में एडिसन ने अपने सर्वप्रथम आविष्कार "विद्युत मतदानगणक" को पेटेंट कराया। नौकरी छोड़कर प्रयोगशाला में आविष्कार करने का निश्चय कर निर्धन एडिसन ने अदम्य आत्मविश्वास का परिचय दिया। 1870-76 ई. के बीच एडिसन ने अनेक आविष्कार किए। एक ही तार पर चार, छह, संदेश अलग अलग भेजने की विधि खोजी, स्टॉक एक्सचेंज के लिए तार छापने की स्वचालित मशीन को सुधारा, तथा बेल टेलीफोन यंत्र का विकास किया। उन्होंने 1875 ई. में "सायंटिफ़िक अमेरिकन" में "ईथरीय बल" पर खोजपूर्ण लेख प्रकाशित किया; 1878 ई. में फोनोग्राफ मशीन पेटेंट कराई जिसकी 2010 ई. में अनेक सुधारों के बाद वर्तमान रूप मिला।


21 अक्टूबर 1879 ई. को एडिसन ने 40 घंटे से अधिक समय तक बिजली से जलनेवाला निर्वात बल्ब विश्व को भेंट किया। 1883 ई. में "एडिसन प्रभाव" की खोज की, जो कालांतर में वर्तमान रेडियो वाल्व का जन्मदाता सिद्ध हुआ। अगले दस वर्षो में एडिसन ने प्रकाश, उष्मा और शक्ति के लिए विद्युत के उत्पादन और त्रितारी वितरण प्रणाली के साधनों और विधियों पर प्रयोग किए; भूमि के नीचे केबुल के लिए विद्युत के तार को रबड़ और कपड़े में लपेटने की पद्धति ढूँढी; डायनेमो और मोटर में सुधार किए; यात्रियों और माल ढोने के लिए विद्युत रेलगाड़ी तथा चलते जहाज से संदेश भेजने और प्राप्त करने की विधि का आविष्कार किया। एडिसन ने क्षार संचायक बैटरी भी तैयार की; लौह अयस्क को चुंबकीय विधि से गहन करने का प्रयोग किए, 1891 ई. में चलचित्र कैमरा पेटेंट कराया एवं इन चित्रों को प्रदर्शित करने के लिए किनैटोस्कोप का आविष्कार किया।


प्रथम विश्वयुद्ध में एडिसन ने जलसेना सलाहकार बोर्ड का अध्यक्ष बनकर 40 युद्धोपयोगी आविष्कार किए। पनामा पैसिफ़िक प्रदर्शनी ने 21 अक्टूबर 1915 ई. को एडिसन दिवस का आयोजन करके विश्वकल्याण के लिए सबसे अधिक अविष्कारों के इस उपजाता को संमानित किया। 1927 ई. में एडिसन नैशनल ऐकैडमी ऑव साइंसेज़ के सदस्य निर्वाचित हुए। 21 अक्टूबर 1929 को राष्ट्रपति दूसरे ने अपने विशिष्ट अतिथि के रूप में एडिसन का अभिवादन किया।


अन्तिम समय :-- 

मेनलोपार्क और वेस्ट ऑरेंज के कारखानों में एडिसन ने 50 वर्ष के अथक परिश्रम से 1,093 आविष्कारों को पेटेंट कराया। अनवरत कर्णशूल से पीड़ित रहने पर भी अल्प मनोरंजन, निरंतर परिश्रम, असीम धैर्य, आश्चर्यजनक स्मरण शक्ति और अनुपम कल्पना शक्ति द्वारा एडिसन ने इतनी सफलता पाई। मृत्यु को भी उन्होंने गुरुतर प्रयोगों के लिए दूसरी प्रयोगशाला में पदार्पण समझा। ""मैंने अपना जीवनकार्य पूर्ण किया। अब मैं दूसरे प्रयोग के लिए तैयार हूँ"", इस भावना के साथ विश्व की इस महान उपकारक विभूति ने 18 अक्टूबर 1931 को संसार से विदा ली।


एडीसन के अनमोल विचार –

  • हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हार मान लेना है. सफल होने का सबसे निश्चित तरीका है हमेशा एक और बार प्रयास करना। 
  • मैं असफल नहीं हुआ हूँ. मैंने 10,000 ऐसे तरीके खोज लिए हैं जो काम नहीं करते हैं। 
  • व्यस्त होने का मतलब हमेशा हकीकत में काम होना नहीं है। 
  • कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। 


थॉमस ऐल्वा एडीसन के इन 6 बेहतरीन आविष्कार :--

इन आविष्कारों के बिना आज की दुनिया की कल्पना ही नहीं की जा सकती.

थॉमस अल्वा एडिसन सबसे प्रसिद्ध आविष्कारकों में से एक हैं. 1847 में पैदा हुए एडीसन अपने समय से काफी आगे थे. उनके द्वारा बनाई गयी चीज़ों ने आज की दुनिया में बहुत प्रभाव डाला. इन आविष्कारों के बिना आज की दुनिया की कल्पना ही नहीं की जा सकती. लाइट बल्ब को बेहतर बनाना, फ़ोनोग्राफ़ और मोशन पिक्चर कैमरा जैसी चीज़ें जो आज हमारे जीवन का अटूट हिस्सा हैं, सबका आविष्कार एडिसन ने ही किया. 


एडिसन की समय से आगे सोच और हैरत कर देने वाले आविष्कारों को देख तब के लोग भौंचक्के हो जाते थे. 84 साल के जीवन में एडिसन के नाम कुल 1,093 पेटेंट हैं. अजब-ग़ज़ब आविष्कारों के चलते उस समय के लोग एडिसन को जादूगर कहके बुलाते थे. आइये जानते हैं एडिसन के 6 आविष्कार जिन्होंने दुनिया बदल दी. 


1. टिन-फॉयल में आवाज़ रिकॉर्ड करने वाला फ़ोनोग्राफ़ :--

1876 में एडिसन ने न्यू जर्सी के मेन्लो पार्क में अपनी एक लैब बनाई. ठीक एक साल बाद उन्होंने कुछ ऐसा बना दिया जिस पर लोग यकीन ही नहीं कर पा रहे थे. यह आविष्कार एक फ़ोनोग्राफ़ का था, जो एक सिलेंडर पर लिपटी टिन-फॉयल में आवाज़ रिकॉर्ड करता था. हालांकि रिकार्डेड आवाज़ उतनी अच्छी नहीं होती थी मगर इस अविष्कार ने लोगों को चौंका दिया.

अपने इस अविष्कार के चलते एडिसन लोगों के बीच फ़ेमस हो गए. लोग उन्हें "मेन्लो पार्क का जादूगर" बुलाने लगे.  


2. मरे हुए लोगों से बात कराने वाला 'स्पिरिट फ़ोन'  :--

1920 में एक मैगज़ीन को इंटरव्यू देते हुए एडिसन ने कहा था, "मैं पिछले कुछ समय से एक डिवाइस पर काम रहा हूं. मैं यह देखना चाहता हूं कि जो लोग हमें छोड़ कर चले गए हैं क्या वो हमसे बात कर सकते हैं."


एडिसन की 'स्पिरिट फ़ोन' वाली बात ने मीडिया में तूफ़ान ला दिया. कई सालों तक इतिहासकारों ने इस आविष्कार को मज़ाक समझा क्योंकि इस अविष्कार का ब्लूप्रिंट या प्रोटोटाइप नहीं मिला. मगर एडिसन की डायरी में ऐसा कुछ-कुछ ज़िक्र है जिससे अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि शायद एडिसन ये कर पाने में सफल हुए थे. मगर ये बात भी साबित नहीं हो पायी.   


3. लाइट बल्ब और इलेक्ट्रिक लाइट सिस्टम को और बेहतर करना:  :--

एडिसन ने 1878 में बिजली की रौशनी पाने के तरीके खोजने पर काम शुरू किया. एडिसन ने प्रकाश बल्ब का आविष्कार भले न किया हो, लेकिन उन्होंने उस समय मौजूद मॉडलों को अच्छा बनाने और उनकी रोशनी को लंबे समय तक बनाए रखने की कोशिश पर काम किया. 

एडिसन बिजली को सस्ता और आसानी से उपलब्ध बनाना चाहते थे, उनका कहना था, "हम बिजली को इतना सस्ता कर देंगे कि सिर्फ़ अमीर ही मोमबत्ती जलाएगा." 


4. ऑटोमैटिक टेलीग्राफ: :--

1830-1840 के दशक में सैमुअल मोर्स और अन्य आविष्कारकों द्वारा बनाये गए टेलीग्राफ़ के ने पूरी दुनिया मे तहलका मचा दिया क्योंकि अब लोग लंबी दूरी के बावजूद जानकारी दूसरों तक पहुंचा पा रहे थे. इस टेलीग्राफ़ में ऑपरेटर मोर्स कोड में संदेशों को सुनकर उसका अनुवाद करता था.

थॉमस एडिसन ने टेलीग्राफ में बहुत ज़्यादा सुधार किया. उन्होंने एक केमिकल रिकॉर्डिंग सिस्टम की खोज की. पहले टेलीग्राफ में 25-40 शब्द प्रति मिनट रिकॉर्ड कर सकता था मगर इसकी मदद से अब टेलीग्राफ हर मिनट 1,000 शब्दों को रिकॉर्ड कर पा रहा था.  


5. किनैटोग्राफ़ और किनैटोस्कोप, जिससे मोशन पिक्चर को रिकॉर्ड किया और देखा जा सकता था. :--

एडिसन की कंपनी द्वारा आविष्कार किये गए किनैटोग्राफ़ ने बहुत बड़ा बदलाव किया. एडिसन ने इस कैमरे पर विलियम कैनेडी डिकसन के साथ मिलकर काम किया था, जिन्हें इस आविष्कार का श्रेय मिला.

1891 में, एडिसन ने एक यंत्र बनाया जिसे किनैटोस्कोप कहा. इसमें एक छेद से छोटी-छोटी फ़िल्में देखी जा सकती थीं.  


6. इलेक्ट्रिक कारों में इस्तेमाल की जाने वाली रीचार्जेबल बैटरी: :--

एक वक्त था जब इलेक्ट्रिक कारें बहुत चलती थीं. 1890 के दशक में एडिसन मौजूदा रीचार्जेबल बैटरियों को हल्का और अच्छा बनाने में लगे थे. 1901 में एडिसन ने निकल-आयरन बैटरी का पेटेंट कराया और एडिसन स्टोरेज बैटरी कंपनी खोली जो इलेक्ट्रिक कारों के लिए बैटरी बनाती थी.

लेकिन पेट्रोल इंजन के आने और पेट्रोल के सस्ते होने के चलते इलेक्ट्रिक कारें धीरे-धीरे गायब हो गईं.  

 इन सारे अविष्कारों से एडिसन ने विज्ञान की दुनिया में बहुत ज़्यादा योगदान दिया और पूरी दुनिया के लोगों का जीवन आसान किया. 


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