(हिटलर )
जन्म: | 20 अप्रेल, 1889 (आस्ट्रिया) |
मृत्यु: | 30 अप्रेल, 1945 (बर्लिन, जर्मनी) |
पिता: | अलोसिस हिटलर |
माता: | क्लारा हिटलर |
किताबें | रचनाएँ : | Mein Kampf |
अडोल्फ हिटलर का जन्म ऑस्ट्रिया में 20 अप्रैल, 1889 को हुआ। उसकी प्रारंभिक शिक्षा लिंज नामक स्थान पर हुई। पिता की मृत्यु के पश्चात् 17 वर्ष की अवस्था में वह वियना गया। कला विद्यालय में प्रविष्ट होने में असफल होकर वह पोस्टकार्डों पर चित्र बनाकर अपना निर्वाह करने लगा। इसी समय से वह साम्यवादियों और यहूदियों से घृणा करने लगा। जब प्रथम विश्वयुद्ध प्रारंभ हुआ, तो वह सेना में भरती हो गया और फ्रांस में कई लड़ाइयों में उसने भाग लिया। 1918 में युद्ध में घायल होने के कारण वह अस्पताल में रहा। जर्मनी की पराजय का उसको बहुत दुःख हुआ।
सन् 1918 में उसने नाजी दल की स्थापना की। इसका उद्देश्य साम्यवादियों और यहूदियों के सब अधिकार छीनना था। इसके सदस्यों में देश-प्रेम कूट-कूटकर भरा था। इस दल ने यहूदियों को प्रथम विश्वयुद्ध की हार के लिए दोषी ठहराया। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण जब नाजी दल के नेता हिटलर ने अपने ओजस्वी भाषणों में उसे ठीक करने का आश्वासन दिया, तो अनेक जर्मन इस दल के सदस्य हो गए। हिटलर ने भूमि सुधार करने, वर्साय संधि को समाप्त करने और एक विशाल जर्मन साम्राज्य की स्थापना का लक्ष्य जनता के सामने रखा, जिससे जर्मन लोग सुख से रह सकें। उसने स्वस्तिक को अपने दल का चिह्न बनाया, जो कि हिंदुओं का शुभ चिह्न है। सन् 1923 में हिटलर ने जर्मन सरकार को उखाड़ फेंकने का प्रयत्न किया। इसमें वह असफल रहा और जेलखाने में डाल दिया गया। वहीं उसने ‘मीन कैम्फ’ (मेरा संघर्ष) नामक अपनी आत्मकथा लिखी।
सन् 1930-1932 में जर्मनी में बेरोजगारी बहुत बढ़ गई। संसद् में नाजी दल के सदस्यों की संख्या 230 हो गई। सन् 1932 के चुनाव में हिटलर को राष्ट्रपति के चुनाव में सफलता नहीं मिली। सन् 1933 में चांसलर बनते ही हिटलर ने जर्मन संसद् को भंग कर दिया। साम्यवादी दल को गैर कानूनी घोषित कर दिया और राष्ट्र को स्वावलंबी बनने के लिए ललकारा। हिटलर ने डॉ. जोजेफ गोएबल्स को अपना प्रचार मंत्री नियुक्त किया। नाजी दल के विरोधी व्यक्तियों को कैदखानों में डाल दिया गया। कार्यकारिणी और कानून बनाने की सारी शक्तियाँ हिटलर ने अपने हाथों में ले लीं। सन् 1934 में उसने खुद को सर्वोच्च न्यायाधीश घोषित कर दिया। उसी वर्ष हिडेनबर्ग की मृत्यु के पश्चात् वह राष्ट्रपति भी बन बैठा। नाजी दल का आतंक जनजीवन के प्रत्येक क्षेत्र में छा गया। सन् 1933 से सन् 1938 तक लाखों यहूदियों की हत्या कर दी गई।
हिटलर ने सन् 1933 में राष्ट्रसंघ को छोड़ दिया और भावी युद्ध को ध्यान में रखकर जर्मनी की सैन्य शक्ति बढ़ाना प्रारंभ कर दिया। प्रायः सारी जर्मन जाति को सैनिक प्रशिक्षण दिया गया।
सन् 1934 में जर्मनी और पोलैंड के बीच एक-दूसरे पर आक्रमण न करने की संधि हुई। उसी वर्ष ऑस्ट्रिया के नाजी दल ने वहाँ के चांसलर डॉलफस की हत्या कर दी। जर्मनी की इस आक्रामक नीति से डरकर रूस, फ्रांस, चेकोस्लोवाकिया, इटली आदि देशों ने अपनी सुरक्षा के लिए पारस्परिक संधियाँ कीं।
उधर हिटलर ने ब्रिटेन के साथ संधि करके अपनी जलसेना ब्रिटेन की जलसेना का 35 प्रतिशत रखने का वचन दिया। इसका उद्देश्य भावी युद्ध में ब्रिटेन को तटस्थ रखना था, किंतु सन् 1935 में ब्रिटेन, फ्रांस और इटली ने हिटलर की शस्त्रीकरण नीति की निंदा की। अगले वर्ष हिटलर ने बसोई की संधि को भंग करके अपनी सेनाएँ फ्रांस के पूर्व में राइन नदी के प्रदेश पर अधिकार करने के लिए भेज दी। सन् 1937 में जर्मनी ने इटली से संधि की और उसी वर्ष ऑस्ट्रिया पर अधिकार कर लिया। हिटलर ने फिर चेकोस्लोवाकिया के उन प्रदेशों को लेने की इच्छा की, जिनके अधिकतर निवासी जर्मन थे। ब्रिटेन, फ्रांस और इटली ने हिटलर को संतुष्ट करने के लिए म्यूनिख के समझौते से चेकोस्लोवाकिया को इन प्रदेशों को हिटलर को देने के लिए विवश किया। सन् 1939 में हिटलर ने चेकोस्लोवाकिया के शेष भाग पर भी अधिकार कर लिया। फिर हिटलर ने रूस से संधि करके पोलैंड का पूर्वी भाग उसे दे दिया और पोलैंड के पश्चिमी भाग पर उसकी सेनाओं ने अधिकार कर लिया। ब्रिटेन ने पोलैंड की रक्षा के लिए अपनी सेनाएँ भेजी। इस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारंभ हुआ।
जब अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध में शामिल हो गया, तो हिटलर की सामरिक स्थिति बिगड़ने लगी। हिटलर के सैनिक अधिकारी उसके विरुद्ध षड्यंत्र रचने लगे। जब रूसियों ने बर्लिन पर आक्रमण किया, तो हिटलर ने 30 अप्रैल, 1945 को आत्महत्या कर ली।