(इन्दिरा प्रियदर्शिनी गाँधी)
जन्म: | 19 नवंबर, 1917 (इलाहबाद, भारत) |
मृत्यु: | 31 अक्टूबर, 1984, (नई दिल्ली, भारत) |
पिता: | जवाहरलाल नेहरु |
माता: | कमला नेहरु |
जीवनसंगी: | फ़िरोज़ गांधी |
बच्चे: | राजीव गांधी, संजय गांधी |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
धर्म : | हिन्दू |
शिक्षा: | सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड |
अवॉर्ड: | भारत रत्न, |
इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता जवाहरलाल नेहरू और दादा मोतीलाल नेहरू प्रसिद्ध भारतीय राष्ट्रीय वादी नेता थे। उन्होंने स्नातक पूना के प्यूपिल्स ऑन स्कूल बॉम्बे से किया।
इंदिरा गांधी ने 1942 में फिरोज गांधी से शादी की जिनका संबंध एक गुजराती पारसी परिवार से था, लेकिन बाद में दोनों अलग-अलग हो गए। 1950 के दशक में उन्होंने अपने पिता नेहरू को भारत के पहले प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान उनकी सहायता के रूप में सेवाएं दी और 1959 तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बन गई। 1960 की में उनके पति फिरोज गांधी हार्ट अटैक के कारण चल बसे। 1964 में वह संसद के लिए चुनी गई।
27 मई 1964 में उनके पिता जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हो गई। लालबहादुर शास्त्री भारत के प्रधानमंत्री बने। इंदिरा गांधी ने सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री का कार्यभार संभाला लेकिन 1966 में लालबहादुर शास्त्री की भी मृत्यु हो गई और कांग्रेस पार्टी द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर चुना गया।
इंदिरा गांधी ने कई आर्थिक नीतियां लागू की और कृषि उत्पादन को बढ़ावा दिया। उन्होंने भूमि सुधार पर एक कड़ी नीति लागू की और व्यक्तिगत आय व्यक्तिगत संपत्ति और व्यापारिक कंपनियों के लाभ की सीमा निर्धारित कर दी। उनकी नीतियों में मुख्य आकर्षण था बैंकों का राष्ट्रीयकरण। राष्ट्रीयकरण के कारण बैंकों की शाखाओं की संख्या 8,200 से बढ़कर 62,000 हो गई और अधिकतर शाखाएं उन ग्रामीण क्षेत्रों में खोली गई। जहां कोई बैंक नहीं था। इसके द्वारा गरीब तबके को और कृषि आवश्यकताओं के लिए बैंक सेवाएं उपलब्ध कराई गई।
इंदिरा गांधी के नेतृत्व के गुण 1978 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध में दिखे, जिसका परिणाम बांग्लादेश की मुक्ति के रूप में आया, लेकिन युद्ध काफी खर्चीला था। इसके साथ तेल की कीमतें बढ़ने और औद्योगिक उत्पादन घटने से उनकी सरकार के लिए आर्थिक कठिनाइयां बढ़ गई। जयप्रकाश नारायण ने इंदिरा गांधी की सरकार के विरुद्ध अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया और उन्होंने त्यागपत्र देने के लिए मजबूर किया, लेकिन उन्होंने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी और आखिरकार सभी राजनीतिक विरोधियों को जेल में डाल दिया। इंदिरा और उनकी पार्टी को गठबंधन पार्टी द्वारा प्राप्त कर दिया गया।
गठबंधन पार्टी टिक नहीं पाई। जल्दी ही सरकार का पतन हो गया। इंदिरा गांधी ने एक बार फिर 1980 में प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला और चौथी बार सत्ता में वापसी की। इस कार्यकाल के दौरान कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा, क्योंकि देश में अलग-अलग भागों में विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच संघर्ष फूट पड़ा।
1984 में हथियारों से लैस सिख अलगाववादियों ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर, जो सिखों का सबसे पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है, मैं शरण ले ली थी। उन्हें विवश कर दिया कि वह मंदिर के अंदर सेना भेजें। इसे 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' नाम दिया गया था। उन्हें सिखों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। 31 अक्टूबर, 1984 को उनके ही दो सिख अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर दी।
एक दिन पहले ही उन्होंने उड़ीसा में अपना आखिरी भाषण दिया था - 'मैं आज जीवित हूं, शायद कल यहां नहीं , फिर भी मैं अपनी आखिरी सांस तक देश की सेवा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी मेरे खून की एक-एक बूंद भारत को शक्ति देगी और अखंड भारत को जीवित रखूंगी।'
इंदिरा गांधी 20 वीं सदी की सबसे प्रसिद्ध महिलाओं में से थी। बांग्ला युद्ध जीतने के कारण उन्हें दुर्गा का अवतार कहां गया और सशक्त शासक के रूप में उन्हें 'आयरन लेडी' के नाम से पुकारा जाने लगा।