जन्म: | 7 फरवरी, 1908 जन्म भूमि, वाराणसी |
मृत्यु: | 26 अक्टूबर, 2000 |
पिता: | वीरेश्वर गुप्त |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
धर्म : | हिन्दू |
शिक्षा: | काशी विद्यापीठ |
मन्मथनाथ गुप्त भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी तथा सिद्धहस्त लेखक थे। उन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी तथा बांग्ला में आत्मकथात्मक, ऐतिहासिक एवं गल्प साहित्य की रचना की है। वे मात्र 13 वर्ष की आयु में ही स्वतन्त्रता संग्राम में कूद गये और जेल गये। बाद में वे हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सक्रिय सदस्य भी बने और 17 वर्ष की आयु में उन्होंने सन् 1925 में हुए काकोरी काण्ड में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनकी असावधानी से ही इस काण्ड में अहमद अली नाम का एक रेल-यात्री मारा गया जिसके कारण ४ लोगों को फाँसी की सजा मिली जबकि मन्मथ की आयु कम होने के कारण उन्हें मात्र 14 वर्ष की सख्त सजा दी गयी। 1937 में जेल से छूटकर आये तो फिर क्रान्तिकारी लेख लिखने लगे जिसके कारण उन्हें 1939 में फिर सजा हुई और वे भारत के स्वतन्त्र होने से एक वर्ष पूर्व 1946 तक जेल में रहे । स्वतन्त्र भारत में वे योजना, बाल भारती और आजकल नामक हिन्दी पत्रिकाओं के सम्पादक भी रहे। नई दिल्ली स्थित निजामुद्दीन ईस्ट में अपने निवास पर 26 अक्टूबर 2000 को दीपावली के दिन उनका जीवन-दीप बुझ गया।
मन्मथनाथ गुप्त का जन्म 7 फ़रवरी सन् 1908 ई. को वाराणसी में हुआ। उनके पितामह (दादा जी) आuद्यानाथ गुप्त बंगाल छोडकर सन् 1880 में ही हुगली से बनारस आ गये थे। मन्मथनाथ के पिता वीरेश्वर गुप्त पहले नेपाल के विराट नगर में प्रधानाध्यापक थे बाद में वे बनारस आ गये। मन्मथ की पढाई-लिखाई दो वर्ष तक नेपाल में हुई फिर उसे काशी विद्यापीठ में दाखिल करा दिया गया।
क्रान्तिकारी आन्दोलन के एक क्रियाशील सदस्य रहे, जिन दिनों की चर्चा बाद में उन्होंने अपनी पुस्तक 'क्रान्तियुग के संस्मरण' (प्रकाशन वर्ष: 1937 ई0) में की है। वे संस्मरण इतिहास के साथ-साथ अकाल्पनिक गद्य-शैली के अच्छे नमूने भी हैं। आपने क्रान्तिकारी आन्दोलन का एक विधिवत इतिहास भी प्रस्तुत किया है - भारत में सशस्त्र क्रान्तिकारी चेष्टा का इतिहास (प्रकाशन वर्ष:1939 ई.)।
गुप्त जी ने साहित्य की विभिन्न विधाओं में लिखा है। आपके प्रकाशित ग्रन्थों की संख्या 80 के लगभग है। कथा साहित्य और समीक्षा के क्षेत्र में आपका कार्य विशेष महत्व का है। बहता पानी (प्रकाशन वर्ष: 1955 ई.) उपन्यास क्रान्तिकारी चरित्रों को लेकर चलता है। समीक्षा-कृतियों में कथाकार प्रेमचंद (प्रकाशन वर्ष: 1946ई.), प्रगतिवाद की रूपरेखा (प्रकाशन वर्ष: 1953 ई.) तथा साहित्य, कला, समीक्षा (प्रकाशन वर्ष: 1954 ई.) की अधिक ख्याति हुई हैं।