कुमार सानु

कुमार सानु

कुमार सानु

(केदारनाथ भट्टाचार्य)

जन्म: 20 अक्टूबर 1957 कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत
पिता: पशुपतिनाथ भट्‌टाचार्य
माता: रीटा भट्टाचार्या
जीवनसंगी: 1. रीटा भट्टाचार्य 2. सलोनी भट्टाचार्य
बच्चे: जेस्सी, जीको और जान
राष्ट्रीयता: भारतीय
धर्म : हिन्दू
शिक्षा: कलकत्ता विश्वविद्यालय, कोलकाता
अवॉर्ड: गातार पांच साल तक फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित, पद्म श्री

जीवन परिचय :--

सुर की सही समझ को ही संगीतकार कहते है और जिसे सुर की सही समझ हो और जिसका संगीत सुन कर सुकून मिलता हो हम उसी संगीतकार की बात कर रहे है। जिसका नाम है कुमार सानू।


बॉलीवुड के मशहूर प्लेबैक सिंगर केदारनाथ भट्टाचार्य उर्फ़ कुमार सानू एक भारतीय पार्श्व गायक हैं. कुमार शानू अकेले ऐसे भारतीय गायक हैं जिनके नाम एक दिन में 28 गाने गाने का रिकॉर्ड गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज हैं. साथ ही वह ऐसे गायक हैं जिन्हे लगातार पांच साल तक फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया हैं, साथ ही उन्हें भारत के सर्वोच्च सम्मान पद्म श्री से नवाजा जा चुका है.


कुमार शानू का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था. उनके पिता जी का नाम पशुपति भट्टाचार्य हैं, जोकि एक गायक और संगीतकार हैं. शानू एक बहुत अच्छे ही तबला वादक भी हैं.


कुमार सानु (पूरा नाम केदारनाथ भट्टाचार्य) हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध गायक हैं। इन्होंने अपने गाने की शुरुआत वर्ष 1989 में शुरू की। 2009 में इन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म श्री भी मिल चुका है भारत के प्रसिद्ध गायकों में एक हैं ।


कुमार सानू की शादी :--

कुमार सानू ने दो शादियां की थी. इनकी पहली पत्नी का नाम रीता भट्टाचार्य था और दूसरी पत्नी का नाम सलोनी भट्टाचार्य है. इनके तीन बेटे है जिनका नाम है जेस्सी, जीको और जान.


करियर :--

कुमार सानू हिंदी सिनेमा के एक जानेमाने पार्श्व गायक हैं। कोलकता में जन्मे कुमार सानू का मूल नाम केदारनाथ भट्टाचार्य है। उनके पिताजी स्वयं एक अच्छे गायक और संगीतकार थे। उन्होंने ही कुमार सानू को गायकी और तबला वादन सिखाया था। गायक किशोर कुमार को अपना आदर्श मानने वाले सानू ने गायकी में अपना खुद का अलग अंदाज़ बनाये रखा है। उनको पहला ब्रेक जगजीत सिंह ने दिया था। उन्होंने उन्हें कल्याणजी आनंद जी से मिलवाया जिन्होंने 1989 में आई फिल्म 'जादूगर' के लिए कुमार सानू से गीत गवाया।


एक दिन में 28 गाने रिकॉर्ड :--

एक दिन में 28 गाने रिकॉर्ड करवाने वाले वह एकमात्र गायक हैं। उन्होंने बीस हज़ार गाने गाये हैं। कुमार सानू का आज के दौर के संगीत के बारे में कहना है कि 'आज के संगीत से मेलोडी, सुर, ताल आदि कहीं गुम होता जा रहा है और उसकी जगह शोर ले रहा है। यही वजह है कि आज के अधिकतर गीत यादगार प्रतीत नहीं होते।' उनकी चाहत हमेशा रही कि काश उन्होंने सचिन देव बर्मन के साथ कोई गाना गाया होता।


बहुत समय से वे बंगाली फिल्मों में सक्रिय हैं और हिंदी फिल्मों में कम। सन् 2009 में उनके अभूतपूर्व संगीत योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से नवाज़ा गया और देश के चौथे सबसे सम्मानित नागरिक के तौर पर मनोनीत भी हुए। फिल्म राउडी राठौर में गीत 'छम्मक-छल्लो छैल छबीली' के साथ दोबारा वापसी की। फिर सन् 2014 की रिलीज यशराज फिल्म निर्मित दम लगा के हईशा फिल्म में गीत 'दर्द करारा' गाया।


कुमार सानु को अधिकतर 1990 के दशक की फ़िल्मों में दिये गए पार्श्व गायन के लिये जाना जाता है। ज़ुर्म फिल्म के "जब कोई बात बिगड़ जाए" से उन्हें पहली सफलता मिली। लेकिन उन्हें आशिकी ने सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म से उन्होंने शुरुआत कर लगातार पाँच सालों तक, 1991 से लेकर 1995 तक फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार जीता। जो कि एक कीर्तिमान है।[2] उन्होंने उस समय के लगभग सभी संगीतकार के लिये गीत गाए हैं:- आनंद-मिलिंद, जतिन-ललित और अनु मलिक। लेकिन वो नदीम-श्रवण है जिनके साथ उनकी सफलता की शुरुआत हुई और उन्हें सर्वाधिक कामयाबी प्राप्त हुई।


कुमार सानू के प्रसिद्ध गाने :--

तझे देखा तो ये जाना सनम, तेरी उम्मीद तेरा इंतजार, बस एक सनम चाहिए, मेरा दिल भी कितना पागल है, सोचेंगे तुम्हे प्यार करके, अब तेरे बिन, जब कोई बात बिगड़ जाए, ये काली-काली आँखें, दिल चीयर के देख, एक लड़की को देखा तो.


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