दिलीप सिंघवी

दिलीप सिंघवी

दिलीप सिंघवी

जन्म: 1 अक्टूबर, 1955, अमरेली, गुजरात
पिता: शांतिलाल सिंघवी
माता: कुमुद सिंघवी
जीवनसंगी: विभा डी सिंघवी
बच्चे: विधि सिंघवी , आलोक सिंघवी
राष्ट्रीयता: भारतीय
शिक्षा: कलकत्ता विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक

प्रारंभिक जीवन:--

दिलीप शांघवी एक जैन परिवार से हैं। शांघवी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने अपना बचपन और कॉलेज का जीवन अपने माता-पिता के साथ कलकत्ता के बुर्राबाजार इलाके में बिताया। वह जे। जे। अजमेरा हाई स्कूल अमरेली और भवानीपुर एजुकेशन सोसाइटी कॉलेज के पूर्व छात्र हैं, जहाँ उन्होंने क्रमशः स्कूली शिक्षा और स्नातक किया।

दिलीप संघवी  प्रसिद्ध भारतीय उद्योगपति हैं | वह भारत के निवासी हैं | उन्होंने सन फार्मास्युटीकल्स कंपनी (Sun Pharmaceuticals) की स्थापना की है | और वह खुद इस Company के MD यानी मैनेजिंग डिरेक्टर (Managing Director) हैं | वैसे तो भारत में कई सारी फार्मा कंपनी काम करती हैं लेकिन सन फार्मा की तरह निरंतर प्रगति कर सके वैसी Pharma कम्पनियां बहुत कम है |

निजी जीवन:--

दिलीप संघवी (Dilip Shanghvi) का विवाह विभा संघवी से हुआ है | इस दंपत्ति को दो संतान हैं | जिनमें से एक बेटा और एक बेटी है | उनके बेटे का नाम आलोक संघवी है | तथा उनकी बेटी का नाम विधि संघवी है | यह दोनों अपने पिता की कंपनी सन फार्मा में ही कार्यरत हैं |

करियर और बिज़नेस :--

जीवन में सफ़ल होने वाले व्यक्ति की एक खासियत होती है | उन्हें अपने लक्ष्य के बारे में कोई दुविधा नहीं होती है | दिलीप संघवी (Dilip Shanghvi) भी कुछ ऐसी ही मनिस्थिति रखते थे | उनके पास विज्ञानं विषय की डिग्री नहीं थी | और ना ही उनके पास कोई बड़ी पूंजी थी | लेकिन फिर भी उन्हें दवाई के कारोबार में ही आगे बढ़ने की चाह थी | उनके पिता एक दवाई डीलर थे | पढाई के बाद उन्होंने अपने पिता के काम में सहयोग किया |

कुछ समय बाद वह अपने पिता से 10 हज़ार की रकम ले कर वर्ष 1983 में मुंबई शहर आ गए | माया नगरी में आने के बाद उन्होंने कुछ वक्त मनोचिकित्सा की दवाई का मार्केटिंग किया | उसके बाद वह गुजरात के वापी शहर चले आये | वहां पर उन्होंने दवाई बनाने की एक छोटी सी फेक्ट्री शुरू की |

इस कंपनी का नामा उन्होंने Sun Pharmaceutical रख दिया | उन्होंने जब यह छोटा सा कारोबार शुरू किया तब उनके पास केवल 2 लोगों का दल था | वही दो कर्मचारी कंपनी की दवाई आसपास के व्यापारिओं को मुहैया कराने का काम करते थे | शुरआत में इस कंपनी नें केवल 5 तरह की दवाई उत्पादन करना शुरू किया था | लेकिन धीरे धीरे उन्होंने Products बढ़ाना शुरू किया | इस कंपनी नें स्थापन के चार वर्ष में एक छोटे से क्षेत्र से आगे बढ़ कर पुरे देश को अपना Market बना लिया | अब सन फार्मा के उत्पाद देश के कोने कोने में उपलब्ध हो गए |

भारत के बाज़ार में रेनबक्सी (परविंदर सिंह), डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी (अंजी रेड्डी) और सिप्ला (युसूफ हामिद) जैसी बड़ी कंपनीओं के संस्थापक विज्ञान की उपाधि और अखूट अनुभव के साथ मौजूद हैं | लेकिन फिर भी सन फार्मा कंपनी के दिलीप संघवी के नाम का डंका बजता है | इस का कारण बहुत सरल है | दिलीप अपने कारोबार को हमेशा सरल रखते हैं | वह आम दवाई की वजाए “लंबी और असाध्य बीमारीयों की दवाई उत्पादन करने और बेचने में ध्यान केन्द्रित करते हैं” | दूसरी कम्पनियां किस रणनिति से काम करती हैं उसकी चिंता छोड़ कर वह सिर्फ अपने लक्ष्यांक पाने पर Focus करते हैं |

किसी भी क्षतिग्रस्त कारोबार को पटरी पर लाने और बाज़ार की नब्ज़ अच्छे से पहचानने की कला इस उद्योगपति को बड़े अच्छे से आती है | उद्योग जगत में अविरल योगदान देने वाले इस गुजराती फार्मा इंडस्ट्रीयालिस्ट की जीवन गाथा अति प्रेरणादायक है |

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