(गुलशन कुमार दुआ)
जन्म: | 5 मई 1956 नई दिल्ली, भारत |
मृत्यु: | 12 अगस्त 1997 (उम्र 41) मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत |
पिता: | चंद्रभान (फल विक्रेता) |
जीवनसंगी: | सुदेश कुमारी (विवाह 1975-1997) |
बच्चे: | भूषण कुमार, तुलसी कुमार, खुशाली कुमार |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
धर्म : | हिन्दू |
शिक्षा: | देशबंधु कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय |
अवॉर्ड: | भूषण कुमार को 2018 का दादासाहेब फाल्के अवार्ड |
साल 1951 में दिल्ली में जन्मे गुलशन कुमार के परिवार में उनके अलावा उनके माता-पिता और एक छोटा भाई था. उनके पिता की दिल्ली के दरियागंज में एक फलों की दुकान हुआ करती थी और इस दुकान का काम गुलशन कुमार भी देखा करते थे. पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखने वाले गुलशन कुमार ने सुदेश कुमारी के साथ विवाह किया था. गुलशन कुमार के कुल तीन बच्चे हैं, जिनमें से एक लड़का और दो लड़कियां हैं. गुलशन कुमार की हत्या के बाद उनका व्यापार उनके बेटे भूषण कुमार ने संभाला हुआ है, जबकि उनकी बेटी तुलसी कुमार राणा एक गायक हैं और दूसरी बेटी खुशाली कुमारी दुआ ने फैशन डिजाइंग की पढ़ाई कर रखी है. खुशाली को आप लोगों ने कुछ गानों की वीडियों में एक्टिंग भी करते हुए देखा होगा.
गुलशन कुमार अपनी जिंदगी में कुछ अलग करना चाहते थे और कुछ नया करने के जोश के चलते उन्होंने दिल्ली में गानों की सस्ते कैसेट बेचना शुरू किया. उनका कैसेट बचने का काम खूब चलने लगा. जिसके बाद उन्होंने अपने काम को ओर बढ़ाया और दिल्ली से सटे नोएडा में अपनी एक कंपनी खोली. गुलशन कुमार द्वारा इस कंपनी में सस्ती कीमत पर गानों के ऑडियो कैसेट बनाए जाते थे. उनके द्वारा बनाए गए ये कैसेट लोगों को काफी सस्ते पड़ते थे. जिसके चलते उनका ये काम खूब चल पड़ा. 23 साल की आयु में शुरू की गई इस कंपनी का नाम उन्होंने “सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज रखा था. वहीं अपने इस व्यापार के कामयाब होने के बाद उन्होंने अपनी कंपनी को मुंबई में शिफ्ट कर दिया और इसका नाम बदलकर टी- सीरीज रख दिया. मुंबई में आने के बाद गुलशन कुमार का काम और चल गया. जिसके बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया में भी अपना व्यापार शुरू कर दिया और साल 1989 में उन्होंने ‘लाल दुपट्टा मलमल का’ नाम की एक फिल्म बनाई. इस फिल्म को तो लोगों द्वारा कुछ खास पसंद नहीं किया गया. मगर इस फिल्म के गाने खूब चले. इस फिल्म के अलावा उन्होंने ‘आशिकी’, ‘जीना तेरी गली में’ और ‘दिल है की मानता नहीं’ जैसी फिल्म बनाई. आशिकी और दिल है की मानता नहीं फिल्म के गाने काफी हिट हुए थे और लोगों द्वारा काफी पसंद किए गए थे. वहीं आज टी-सीरीज कंपनी ने एक नई बुलंदिया छू रखी हैं और इस कंपनी द्वारा आज कई संगीत और फिल्में बनाई जाती हैं.
गुलशन कुमार ने हालांकि अपने करियर की शुरुआत छोटे स्तर पर रिकार्ड्स और कैसेट के व्यापार से की थी लेकिन कालांतर में इसी क्षेत्र में उन्होंने सफलता के नये आयाम भी स्थापित किये थे.
समय के साथ उन्होंने कैसेट बनाना भी शुरू कर दिया था. धीरे-धीरे उन्होंने “सुपर कैसेट इंडस्ट्रीज” के नाम से बिजनेस स्थापित कर लिया,जिससे उन्होंने बहुत मुनाफा कमाया.
वास्तव में उस समय प्रतिष्ठित कम्पनियों द्वारा खराब गुणवत्ता की ऑडियो टेप मार्केट में प्रचलित थी, गुलशन कुमार ने इस समस्या को कम करते हुए 1970 में कम और सस्ती दर पर अच्छी क्वालिटी की कैसेट बेचना शुरू कर दिया. इसके आलावा उन्होंने नई दिल्ली के नोएडा में म्यूजिक प्रोडक्शन कम्पनी भी शुरू की.
व्यापार के बढने के साथ ही उन्होंने विदेशों में भी अच्छी क्वालिटी की कैसेट बेचना शुरू कर दिया. जल्द ही वो इससे मिलनियर बन गये और म्यूजिक इंडस्ट्री के बिजनेस में बड़े बिजनेसमैन के रूप में पहचाने जाने लगे.
म्यूजिक इंडस्ट्री की सफलता से उत्साहित होकर उन्होंने बॉलीवुड का रुख किया और बोम्बे आ गये. यहाँ उन्होंने धार्मिक गानों की कैसेट का बिजनेस शुरू किया और बहुत कम मूल्य पर इन कैसेट को बेचने लगे. इसके पीछे उनका उद्देश्य हिन्दू धर्म को आगे ले जाना था. उन्होंने हिन्दू पौराणिक कथाओं पर भी फिल्म्स बनाई थी.
गुलशन कुमार एक अच्छे गायक भी थे और उन्होंने कुछ भक्ति गीत गाये हैं, जिनमें कुछ भोजपुरी गीत भी शामिल हैं. इनमें कुछ प्रमुख भजन हैं- ए भोला दानी, जय-जय हनुमान गुसाई, श्री हनुमान सतवन, देवघर चले के बा सैया, लेके गणेश के जतानी भोला जी, भंगिया पीसी भोलाजी, सतनाम श्री वाहे गुरु एही नाम हैं, भोले बाबा से करे के बा भेंट, श्री हनुमान चालीसा.
गुलशन कुमार द्वारा स्थापित सुपर कैसेट इंडस्ट्रीज लिमिटेड भारत की टॉप मोस्ट कम्पनी बन गई थी और इसी कम्पनी के अंतर्गत उन्होंने टी सीरीज का म्यूजिक लेबल लांच किया था,जो की भारत का सबसे बड़ा म्यूजिक लेबल बन गया था. 1985 में टी सीरीज ने अपनी पहली फिल्म “लल्लू राम रिलीज की थी.
आज भी भारत में वीडियो और म्यूजिक के लिए टी सीरीज सबसे बड़ी प्रोडूसर और पब्लिशर हैं. यह फिल्मों के ओरिजिनल साउंड ट्रैक्स,रीमिक्स,पुराने भक्ति गीत,नये जमाने के गाने,1960 के मेलोडी,1990 के पॉप हिट का बिजनेस करती हैं. भारतीय संगीत के मार्केट में 60% हिस्से पर टी सीरीज का दबदबा हैं, और इसका बिजनेस 24 अन्य देशों में और 6 महाद्वीपों तक फैला हैं. भारत में इसके 2500 डीलर्स हैं,इस कारण ये भारत में सबसे बड़ा डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क इसी कम्पनी का हैं.
टी सीरीज का नाम गुलशन कुमार के नाम के साथ समानांतर चलता हैं, उन्होंने संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के साथ ही फिल्म बनाने का काम भी शुरू किया था,जिसे उनकी कम्पनी आज तक कर रही हैं.
गुलशन की पहली फिल्म 1989 में आई “लाल दुपट्टा मलमल” का थी. फिल्म में रोमांटिक मेलोडियस गाने थे, जिससे फिल्म अच्छी हिट गयी.
इसके बाद उन्होंने 1990 में “आशिकी” फिल्म बनाई जिससे राहुल रॉय और अनु अग्रवाल जैसे नये कलाकारों को अवसर मिला. फिल्म ने सफलता के नए रिकॉर्ड बना दिए, फिल्म के संगीत को खासा पसंद किया गया. आज भी लोग आशिकी के गाने सुनते है.
हालांकि इसके बाद आई अगली 2 मूवी “बाहर आने तक और जीना तेरी गली में” ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया लेकिन इनके संगीत को लोगों ने खूब पसंद किया.
1991 में “दिल हैं कि मानता नहीं” में आमिर खान और पूजा भट्ट की जोड़ी दिखाई दी थी,इस फिल्म ने बहुत अच्छी कमाई करी, लेकिन इसमें भी ज्यादा योगदान संगीत का ही था. इस तरह गुलशन कुमार को उस फिल्म इंडस्ट्री में भी म्यूजिक टायकून माना जाने लगा.
उनकी कुछ फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई, जिनमें आई मिलन की रात,मीरा का मोहन जैसी फ़िल्मों के नाम शामिल थे.
गुलशन कुमार ने बहुत से नये टेलेंट को भी मौका दिया था. उन्होंने अपने भाई किशन कुमार को भी फिल्म इंडस्ट्री में लांच किया था. हालांकि दोनों फिल्म ज्यादा नहीं चली लेकिन इससे निराश होने की जगह गुलशन कुमार ने तीसरी मूवी “बेवफा सनम” बनाई जो 1995 में रिलीज हुयी और ये फिल्म काफी हिट गयी. इस फिल्म का म्यूजिक भी उनकी अन्य फिल्मों की तरह बहुत अच्छा था,और उस समय स्ट्रगल कर रहे सोनू निगम के करियर को भी इसी फिल्म ने दिशा दी.
सोनू निगम के अलावा अनुराधा पोडवाल,वन्दना बाजपयी और कुमार शानू जैसे गायक/गायिकाओं को भी गुलशन कुमार ने ही मौका दिया था.
जनवरी 2017 में टी सीरीज 14 बिलियन सब्सक्राइबर के साथ नंबर 1 यू’ट्यूब चैनल बन गया था. जिसमें जस्टीन बिबर,डब्ल्यूडब्ल्यूई,रिहाना और केटी पैरी के लाइक्स भी थे. टी सीरीज दूसरा सबसे ज्यादा सब्सक्राइब किया जाने वाला चैनल है.
गुलशन कुमार के बेटे भूषण कुमार ने 2 दशक पहले जब टी सीरीज की जिम्मेदारी ली थी, तब वो मात्र 19 वर्ष के थे. लेकिन बहुत कम समय में ही उन्होंने उस दौरान की जटिल परिस्थितयों को सम्भालते हुए कम्पनी को वापिस खड़ा कर दिया. अभी टी सीरीज म्यूजिक बिजनेस ऑटो-पायलट मोड़ पर हैं, जिसमें इंडस्ट्री को देखने वालो के 70% तक शेयर हैं. भूषण का पूरा ध्यान कम्पनी के नये मूवी प्रोडक्शन बिजनेस पर हैं.
भूषण कुमार को 2018 का दादासाहेब फाल्के अवार्ड भी मिला हैं. भूषण कुमार अपने पिता के आदर्शों पर ही चलते हैं, और टी सीरीज की सफलता का शायद यही कारण है. गुलशन कुमार भी बेहद सामाजिक और धार्मिक व्यक्ति थे.
गुलशन कुमार फिल्म मीडिया की बड़ी हस्ती होने के बावजूद भी काफी सामाजिक और जमीन से जुड़े व्यक्ति थे. वो वैष्णो देवी में भंडारे का आयोजन करते रहते थे,जहां हिन्दू तीर्थयात्रियों को मुफ्त में खाना में उलब्ध करवाया जाता था.
वो 1992-93 में सबसे ज्यादा टैक्स भरने वाले व्यक्ति थे. कहा जाता हैं कि उन्होंने अंडरवर्ल्ड की मांगों को मानने से इंकार कर दिया था,इसलिए उनकी हत्या हो गयी.
5 अगस्त 1997 से ही गुलशन कुमार को अबू सलेम से धमकियां मिलने लगी थी लेकिन इसे वो नजरअंदाज करते रहे और 12 अगस्त के दिन वो जब अँधेरी में स्थित शिव मन्दिर गये तो मन्दिर के पास छुपे 2 व्यक्तियों ने उन पर गोली चला दी,उन्हें 3 गोलियां लगी. वो पास ही एक झोपडी में मदद मांगने के लिए गये, लेकिन वहाँ खड़ी महिला कुछ समझ पाती, उससे पहले ही हत्यारों ने उन 15 गोलियां और चला दी, जिसके कारण अस्पताल ले जाते हुए उनकी मृत्यु हो गयी गुलशन कुमार का दाह-संस्कार उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार दिल्ली में किया गया था.
अक्टूबर 1997 को टिप्स के मालिक रमेश तौरानी को गिरफ्तार किया गया, कहा जाता है तौरानी ने कुमार को मरवाने के लिए 25 लाख रूपये दिए थे. नवम्बर 1997 को पुलिस ने 400 पेज की चार्ज शीट तैयार की थी जिसमें 26 लोगों को दोषी पाया गया था.
संगीतकार नदीम-श्रवण की जोड़ी में नदीम को गुलशन कुमार की हत्या के आरोप में पुलिस ने 9 जनवरी 2001 के दिन गिरफ्तार कर लिया था. इस तरह गुलशन कुमार हत्या का केस बहुत से घटनाक्रमों से गुजरते हुए अप्रैल 2002 तक पंहुचा, जब 19 आरोपियों में से 18 को छोड़ दिया गया.
जनवरी 2001 में दाउद इब्राहिम के सहयोगी अब्दुल रौफ को कलकता से गिरफ्तार किया गया, अब्दुल रौफ ने ये बात स्वीकार की थी उसे गुलशन कुमार को मारने के लिए पैसे मिले थे. 29 अप्रैल 2009 को रौफ को आजीवन कारवास की सजा मिली,
गुलशन कुमार से फिल्म जगत के साथ ही समाज को बहुत उम्मीदें थी,क्योंकि वो बिजनेसमैन के तौर पर एक आदर्श स्थापित कर रहे थे,उस समय जब हर कोई अंडर-वर्ल्ड के खौफ में कोई भी सही-गलत काम के लिए तैयार था,तब गुलशन कुमार ने बिना डरे अपना काम किया,जिसके कारण उन्हें अपनी जन तक गवानी पड़ी लेकिन वो अपने पीछे टी सीरीज के रूप में मूल्य धरोहर छोड़ गये जो आज तक बिजनेस के नये कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं.
सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड (Super Cassettes Industries Private Limited; SCIPL एससीआईपीएल), भारत की एक संगीत कम्पनी है। इसका संगीत बिल्ला टी-सीरीज़ (T-Series) है। यह फ़िल्म निर्माता एवं वितरक कम्पनी भी है। यह मुख्य रूप से बॉलीवुड संगीत और भारतीय पॉप संगीत के लिए जानी जाती है। 2014 तक, टी-सीरीज़ भारत की सबसे बड़ी संगीत कंपनी है, इसकी भारतीय संगीत व्यापार में 35% हिस्सेदारी है, इसके बाद सोनी म्यूजिक इंडिया और ज़ी म्यूजिक है। टी-सीरीज़ यूट्यूब पर 170 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर और 96 बिलियन व्यूज़ के साथ, जनवरी 2020 तक सबसे अधिक देखे जाने वाले और सबसे अधिक सब्सक्राइब किए गए चैनल का मालिक है और इसका संचालन करता है। एक संगीत कम्पनी होने के अलावा टी-सीरीज़ को कुछ सफलता एक फ़िल्म निर्माता कम्पनी के तौर पर भी मिली है। मई 2021 में टी सीरीज पर 150 बिलियन से अधिक व्यूज हो चुके हैं। यह दुनिया का एकमात्र चैनल बन गया है जो सबसे अधिक बार देखा गया है साथ ही अब तक इसके youtube पर subscribers की संख्या 18.1 करोड़ हो चुकी है