नेपोलियन बोनापार्ट

नेपोलियन बोनापार्ट

नेपोलियन बोनापार्ट

जन्म: 15 अगस्त, 1769 (अजैसियों, फ्रांस)
मृत्यु: 5 मई, 1821 (यूनाइटेड किंगडम)
पिता: चार्ल्स बोनापार्ट
माता: लीतिशिया रेमॉलिनो
धर्म : रोमन कैथोलिक

नेपोलियन बोनापार्ट एक फ्रांसीसी सैन्य अधिकारी और राजनीतिक नेता था। वह फ्रांसीसी क्रांति के बाद के चरणों के दौरान प्रमुखता से छाया रहा। नेपोलियन ने अपने सफल अभियानों, कूटनीतिक चातुर्य, संधियों और वैवाहिक संबंधों से यूरोप का नक्शा ही बदल दिया था।

विश्व इतिहास में उसका हस्तक्षेप अनेक परवर्ती महत्त्वपूर्ण घटनाओं का गवाह बना। नेपोलियन का जन्म कोर्सिका, फ्रांस में 15 अगस्त, 1769 को हुआ था। उसने बीचेंन और पेरिस के सैन्य स्कूलों में शिक्षा प्राप्त की थी। मात्र 16 वर्ष की उम्र में ही वह फ्रांसीसी सेना में भरती हो गया था। तूलो पर ब्रिटेन के हमले के समय वह उनके बचाव के लिए आया और अंग्रेजों को वहाँ से मार भगाने में कामयाब रहा।

रॉल्सपियरे के पतन के बाद नेपोलियन बंदी बना लिया गया था। वह गिलोरिन की भेंट चढ़ गया होता, लेकिन उसका कौशल और भाग्य इस मुश्किल समय में उसके काम आया। अपदस्थ सम्राट् के वफादारों को कुचलकर नेपोलियन डायरेक्टरों और साथ ही अपने सफल इटली अभियान से जनता की नजरों में चढ़ गया। सन् 1799 से सन् 1804 तक वह प्रीमियर कौनसूल की हैसियत से फ्रांस का शासक भी नियुक्त किया गया। सन् 1804 से सन् 1815 तक तथा सन् 1815 में सौ दिनों के लिए वह फ्रांस का सम्राट् और इटली का राजा रहा।

अक्तूबर 1813 में लाइपजिग में पराजय के पूर्व वह करीब एक दशक तक संपूर्ण पश्चिमी और मध्य यूरोप का स्वामी बना रहा था। नेपोलियन संपूर्ण यूरोप का एकच्छत्र शासक बनना चाहता था। उसने ब्रिटेन की महाद्वीपीय नाकेबंदी करने की भी कोशिश की और भारत पर आक्रमण करने के प्रयोजन से मिस्र पर आक्रमण किया तथा रूस अभियान में मास्को तक धावा बोला। नेपोलियन ने अपनी प्रथम पत्नी जोसेफिन के निस्संतान रहने पर ऑस्ट्रिया के सम्राट्  की पुत्री मेरी लुईस से दूसरा विवाह किया, जिससे उसे संतान की प्राप्ति हुई।

अपने अनेक सफल अभियानों को पूरा करने के बाद महानायक नेपोलियन को ब्रिटिश सेनापति नेल्सन से मात खानी पड़ी। सन् 1815 में वाटरलू की लड़ाई में नेपोलियन की पराजय हुई। इस निर्णायक पराजय ने उसके विराट् सपने को, जो उसने देखा था सदा के लिए भंग कर दिया। पराजय के उपरांत नेपोलियन को बंदी बना लिया गया और सेंट हेलेना द्वीप पर भेज दिया गया।

नेपोलियन बोनापार्ट की मौत को लेकर तरह-तरह की बातें कही जाती हैं। अधिकांश इतिहासकार यह मानते हैं कि उसकी मौत पेट के कैंसर की वजह से हुई थी। वाटरलू की लड़ाई में हार जाने के बाद नेपोलियन को सेंट हेलेना द्वीप निर्वासित कर दिया गया था, जहाँ 52 साल की उम्र में उसकी मृत्यु हो गई। वर्ष 2001 में फ्रांसीसी विशेषज्ञों ने नेपोलियन के बाल का परीक्षण करके पाया कि उसमें ‘आर्सनिक’ नामक जहर था।

यह माना जाता है कि संभवतः सेंट हेलेना के तत्कालीन ब्रिटिश गवर्नर ने फ्रांस के काउंट के साथ मिलकर नेपोलियन की हत्या की साजिश रची थी। लेकिन अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बिलकुल ही अलग व्याख्या की है। उन्होंने कहा कि नेपोलियन की बीमारी का जो उपचार किया गया था, उसी ने उसे मार दिया। नेपोलियन को नियमित रूप से पोटैशियम टाट्रेट नामक जहरीला नमक दिया जाता था, जिससे वह उल्टी कर सकें और ऐनिया लगाया जाता था। इससे नेपोलियन के शरीर में पोटैशियम की कमी हो गई, जो कि हृदय के लिए घातक होती है। नेपोलियन को उसकी आँतों की सफाई के लिए 600 मिलीग्राम मरक्यूरिक क्लोराइड दिया गया और दो दिन बाद ही उसकी मृत्यु हो गई।

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