जन्म: | 2016 नवम्बर 1993 बिसम कटक,रायगड़ा |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
शिक्षा: | दिल्ली के इंडियन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस एंड फाइनेंस |
रितेश का जन्म ओडिशा के बिसम कटक गाँव में हुआ था और वे कोटा, राजस्थान में पले-बढ़े। उन्होंने अपना स्कूल सीक्रेट हार्ट स्कूल, रायगड़ा से पूरा किया। उन्होंने दिल्ली में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस एंड फाइनेंस में भाग लिया लेकिन अपनी कंपनी शुरू करने के लिए बाहर हो गए। वह OYO रूम्स की नींव से पहले सिम कार्ड बेचता था। 2013 में, उन्होंने 19 साल की उम्र में कंपनी OYO रूम्स की शुरुआत की।
रितेश ने अपनी इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई जिले के ही स्कूल से पूरी की और उसके बाद रितेश ने आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए दिल्ली के इंडियन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस एंड फाइनेंस में एडमिशन ले लिया।
लेकिन अपने बिजनेस को शुरू करने के लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी । रितेश बचपन से ही बिल गेट्स, स्टीव जॉब्स, और मार्क जुकरबर्ग से बहुत प्रेरित थे और उनकी तरह अपनी लाइफ में कुछ करना चाहते थे। OYO Rooms की शुरुआत कुछ इस तरह हुई कि रितेश को नई-नई जगह घूमने का बहुत शौक था । और उसे ट्रैवल करते समय रूम्स की व्यवस्था करने में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
जैसे कभी उन्हें बहुत सारे पैसे देकर भी बेकार सी जगह रहने को मिलती और कभी कम पैसों में ही बहुत अच्छी जगह मिल जाया करती थी और इस तरह उनके दिमाग में अपनी एक ऑनलाइन रूम बुकिंग कि Website शुरू करने का idea आया जिसमें कि लोगों को अच्छी सुविधा के साथ रहने के लिए अच्छी जगह मिल सके ।
2012 में केवल 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना स्टार्टअप OREVAL STAYS की शुरुआत की । इस कंपनी का उद्देश्य ट्रेवल्स को थोड़े समय के लिए कम दामों पर कमरों को उपलब्ध करवाना था । जिसे कोई भी आसानी से ऑनलाइन रिजर्व कर सकता था । कंपनी के शुरू होने के कुछ समय बाद ही उन्हें नए स्टार्टअप में निवेश करने वाली कंपनी Venture Nursery से 30 लाख का फंड भी प्राप्त हो गया।
अब रितेश के पास अपनी कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त पैसे थे और उसके बाद उन्होंने अपने बिजनेस आइडिया को paypal कंपनी के founder पीटर थैल के थैल फाउंडेशन द्वारा आयोजित international प्रतियोगिता है के समक्ष रखा और सौभाग्यवश भी इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने में सफल रहे और उन्हें फेलोशिप के रूप में लगभग 65 लाख की धनराशि प्राप्त हुई ।
बहुत ही कम समय में उनके स्टार्टअप को मिली इन सफलताओं से वह काफी उत्साहित थे, लेकिन धीरे-धीरे उनका यह बिजनेस मॉडल प्रॉपर प्रॉफिट देने में असफल रहा और OREVAL STAYS पुरे घाटे में चला गया । और जितना भी स्थिती को सुधारने का प्रयास करते , स्थिति और भी खराब होती जाती और लास्ट में एक स्टेज आई कि उन्हें इस कंपनी को अस्थाई रुप से बंद करना पड़ा ।
रितेश अपने स्टार्ट अप के असफल होने से निराश नहीं हुई बल्कि उन्होंने इस योजना पर दोबारा विचार करने की सूची ताकि इस की कमियों को दूर किया जा सके । और उसके बाद उन्हें realize हुआ कि इंडिया में सस्ते होटल में कमरे मिलना या न मिलना कोई समस्या नहीं है, दरअसल कमी है तो होटल का कम पैसों में भी बेहतर सुविधा करने दे पाना । और फिर इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने OREVAL STAYS में नए बदलाव कर 2013 में बिल्कुल नए नाम और मकसद के साथ पेश किया ।
अब OREVAL का नाय नाम OYO ROOMS था और जिसका मतलब होता है “आपके अपने कमरे” और उनका उद्देश्य अब सिर्फ ट्रेवल्स को किसी होटल में कमरा मुहैया कराना पर नहीं रह गया था । दरअसल अब वह होटल के कमरों की और वहां मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं की क्वालिटी का भी ख्याल रखने लगे ।
इस बार रितेश पहले की तरह गलतियों को दोहराना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने एक बिजनेस firm 70MM नाम के सीईओ भावना अगरवाल से मिलकर बिजनेस की बारीकियों को बेहतरीन ढंग से जानने का प्रयास किया । जिससे उन्हें कंपनी के लिए सही फैसले लेने में काफी मदद मिली , और इस बार रितेश की मेहनत रंग लाई और सब कुछ वैसा ही हुआ जैसा वह चाहते थे ।
कम दामों पर बेहतरीन सुविधा के साथ ट्रेवल्स को यह जगह बहुत पसंद आने लगी उसके बाद 2014 में ही दो बड़ी कंपनी लाइट स्पीड वेंचर पाटनर और DSG कंजूमर पाटनर ने उसमे चार करोड़ रुपए का निवेश किया और फिर 2016 में जापान की बहुराष्ट्रीय कंपनी सॉफ्टबैंक ने भी 7 अरब रुपए का निवेश किया जो कि नई कंपनी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है ।