स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फ़रवरी 1955 को सैन फ्रांसिस्को, कैलिफ़ोर्निया में हुआ था। स्टीव के जन्म के समय उनके माता पिता की शादी नहीं हुए थी, इसी कारण उन्होने उसे गोद देने का फ़ैसला किया। इसी लिये स्टीव को कैलिफोर्निया पॉल रेनहोल्ड जॉब्स और क्लारा जॉब्स ने गोद ले लिया था। क्लारा जॉब्स ने कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त नहीं की थी और पॉल जॉब्स ने केवल उच्च विद्यालय तक की ही शिक्षा प्राप्त की थी।
जब जॉब्स 5 साल के थे तो उनका परिवार सैन फ्रांसिस्को से माउंटेन व्यू, कैलिफोर्निया की और चला गया। पॉल एक मैकेनिक और एक बढ़ई के रूप में काम किया करते थे और अपने बेटे को अल्पविकसित इलेक्ट्रॉनिक्स और 'अपने हाथों से काम कैसे करना है' सिखाते थे, वहीं दूसरी और क्लॅरा एक अकाउंटेंट थी और स्टीव को पढ़ना सिखाती थी। जॉब्स ने अपनी प्राथमिक शिक्षा मोंटा लोमा प्राथमिक विद्यालय में की और उच्च शिक्षा कूपर्टीनो जूनियर हाइ और होम्स्टेड हाई स्कूल से प्राप्त की थी। सन् 1972 में उच्च विद्यालय के स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद जॉब्स ने ओरेगन के रीड कॉलेज में दाखिला लिया मगर रीड कॉलेज बहुत महँगा था और उनके माता पिता के पास उतने पैसे नहीं थे। इसी वज़ह से स्टीव ने कॉलेज छोड़ दिया और क्रिएटिव क्लासेस में दाखिला ले लिया, जिनमे से एक कोर्स सुलेख पर था।
निजी जीवन :--
जॉब्स की एक बहन है जिन का नाम मोना सिम्प्सन है। उनके एक पुराने सम्बन्ध से 1978 में उनकी पहली बेटी का जन्म हुआ जिसका नाम था लीज़ा ब्रेनन जॉब्स है। सन् 1991 में उन्होने लौरेन पावेल से शादी की। इस शादी से उनके तीन बच्चे हुए। एक लड़का और दो लड़कियाँ। लड़के का नाम रीड है जिसका जन्म सन् 19991 में हुआ। उनकी बड़ी बेटी का नाम एरिन है जिस का जन्म सन् 1994 में हुआ और छोटी बेटी का नाम ईव है जिस्का जन्म सन् 1998 में हुआ। वे संगीतकार दि बीटल्स के बहुत बड़े प्रशंसक थे और उन से बड़े प्रेरित हुए।
प्रारंभिक कार्य :--
सन् 1973 मई जॉब्स अटारी में तकनीशियन के रूप में कार्य करते थे। वहाँ लोग उसे "मुश्किल है लेकिन मूल्यवान" कहते थे। मध्य 1974, में आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में जॉब्स अपने कुछ रीड कॉलेज के मित्रो के साथ कारोली बाबा से मिलने भारत आए। किंतु जब वे कारोली बाबा के आश्रम पहुँचे तो उन्हें पता चले की उनकी मृत्यु सितम्बर 1973 को हो चुकी थी। उस के बाद उन्होने हैड़खन बाबाजी से मिलने का निर्णय किया। जिसके कारण भारत में उन्होने काफ़ी समय दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में बिताया।
सात महीने भारत में रहने के बाद वे वापस अमेरिका चले गऐ थे। उन्होने अपनी उपस्थिति बदल डाली, उन्होने अपना सिर मुंडा दिया और पारंपरिक भारतीय वस्त्र पहनने शुरू कर दिए, साथ ही वे जैन, बौद्ध धर्मों के गंभीर व्यवसायी भी बन गया
सन् 1976 में जॉब्स और वोज़नियाक ने अपने स्वयं के व्यवसाय का गठन किया, जिसका नाम उन्होने "एप्पल कंप्यूटर कंपनी" रखा। पहले तो वे सर्किट बोर्ड बेचा करते थे।
27 अगस्त 1999 से उपयोग किया जा रहा लोगो।
सन् 1976 में, स्टीव वोज़नियाक ने मेकिनटोश एप्पल 1 कंप्यूटर का आविष्कार किया। जब वोज़नियाक ने यह जॉब को दिखाया तो जॉब ने इसे बेचने का सुझाव दिया, इसे बेचने के लिये वे और वोज़नियाक गैरेज में एप्पल कंप्यूटर का निर्माण करने लगे। इस कार्य को पूरा करने के लिये उन्होने अर्द्ध सेवानिवृत्त इंटेल उत्पाद विपणन प्रबंधक और इंजीनियर माइक मारककुल्ला से धन प्राप्त किया।
सन् 1978 में, नेशनल सेमीकंडक्टर से माइक स्कॉट को एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में भर्ती किया गया था। सन् 1983 में जॉब्स ने लालची जॉन स्कली को पेप्सी कोला को छोड़ कर एप्पल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम करने के लिए पूछा, " क्या आप आपनी बाकी ज़िंदगी शुगर पानी बेचने मे खर्च करना चाहते हैं, या आप दुनिया को बदलने का एक मौका चाहते हैं?"
अप्रैल 10 1985 और 11, बोर्ड की बैठक के दौरान, एप्पल के बोर्ड के निदेशकों ने स्कली के कहने पर जॉब्स को अध्यक्ष पद को छोड़कर उसकी सभी भूमिकाओं से हटाने का अधिकार दे दिया।
परंतु जॉन ने यह फ़ैसला कुछ देर के लिया रोक दिया। मई 24, 1985 के दिन मामले को हल करने के लिए एक बोर्ड की बैठक हुई, इस बैठक में जॉब्स को मेकिनटोश प्रभाग के प्रमुख के रूप में और उसके प्रबंधकीय कर्तव्यों से हटा दिया गया।
नेक्स्ट कंप्यूटर :--
एप्पल से इस्तीफ़ा देने के बाद, स्टीव ने 1985 में नेक्स्ट इंक की स्थापना की। नेक्स्ट कार्य केंद्र अपनी तकनीकी ताकत के लिए जाना जाता था, उनके उद्देश्य उन्मुख सॉफ्टवेयर विकास प्रणाली बनाना था। टिम बर्नर्स ली ने एक नेक्स्ट कंप्यूटर पर वर्ल्ड वाइड वेब का आविष्कार किया था। एक साल के अंदर पूँजी की कमी के कारण उन्होने रॉस पेरोट के साथ साझेदारी बनाई और पेरोट ने नेक्स्ट में अपनी पूँजी का निवेश किया। सन् 1990 में नेक्स्ट ने अपना पहला कम्प्यूटर बाजार में उतारा जिस की कीमत 9999 डालर थी। पर इस कम्प्यूटर को महंगा होने के कारण बाज़ार में स्वीकार नहीं किया गया। फिर उसी साल नेक्स्ट ने नया उन्नत 'इन्टर पर्सनल' कम्प्यूटर बनाया।
एप्पल मे वापसी :--
सन् 1996 में एप्पल की बाजार में हालत बिगड़ गई तब स्टीव, नेक्स्ट कम्प्यूटर को एप्पल को बेचने के बाद वे एप्पल के चीफ एक्जिक्यूटिव आफिसर बन गये। सन् 1997 से उन्होंने कंपनी में बतौर सी°ई°ओ° काम किया 1998 में आइमैक बाजार में आया जो बड़ा ही आकर्षक तथा अल्प पारदर्शी खोल वाला पी°सी° था, उनके नेतृत्व में एप्पल ने बडी सफल्ता प्राप्त की। सन् 2001 में एप्पल ने आई पॉड का निर्माण किया। फिर सन् 2001 में आई ट्यून्ज़ स्टोर क निर्माण किया गया। सन् 2007 में एप्पल ने आई फोन नामक मोबाइल फोन बनाये जो बड़े सफल रहे। 2010 में एप्पल ने आइ पैड नामक टैब्लेट कम्प्यूटर बनाया। सन् 2011 में उन्होने सी ई ओ के पद से इस्तीफा दे दिया पर वे बोर्ड के अध्यक्ष बने रहे।
स्टीव जॉब्स की स्पीच :--
Stay hungry stay foolish Steve Jobs speech hindi
मैं आज अपने आपको भाग्यशाली महसूस कर रहा हूँ कि मैं दुनियाँ के अच्छे विश्वविद्यालय में से एक के दीक्षांत समारोह का हिस्सा हूँ, जबकि मैंने किसी भी महाविद्यालय से स्नातक की तालीम प्राप्त नहीं की हैं | सच कहूँगा यह पहला समय हैं जब मैंने किसी कॉलेज को इतने नजदीक से देखा हो | आज मैं आप सभी से अपने जीवन की तीन कहानियाँ कहना चाहता हूँ जो कि महज़ मेरे जीवन की कहानियाँ हैं और कुछ नहीं |
मेरी पहली कहानी हैं :--
मैंने मेरी Reed College से शुरू की गई पढाई छह महीने में ही छोड़ दी लेकिन मैं अगले अठाहरा महीने तक वहाँ आता जाता रहा | जब मैं वहाँ जा ही रहा था तो मैंने पढाई क्यूँ छोड़ी ?
इसकी शुरुवात मेरे जन्म से पहले हो चुकी थी | मेरी जैविक माँ जो कि अविवाहित नव युवती स्नातक छात्रा थी वह मुझे किसी अन्य को गोद दे देना चाहती थी | उनकी सोच बहुत दृढ़ थी कि मुझे कोई कॉलेज ग्रेजुएट गोद ले, जैसे मेरे लिये सब कुछ तय था और मुझे एक वकील और उनकी पत्नी गोद लेने वाले थे और मैं उन्हें दिया जाने वाला ही था कि उन्होंने लास्ट मिनिट पर अपना निर्णय बदल दिया कि उन्हें अब एक लड़की ही गोद लेनी हैं |इसके बाद उन्हें कॉल किया गया जो मुझे गोद लेने वाली वेटिंग लिस्ट में थे | कॉल करके कहा गया हमारे पास एक बेबी बॉय हैं क्या आप उसे गोद लेना चाहते हैं उधर से हाँ का जवाब आया | उसके बाद मेरी जैविक माँ को पता चला कि मेरी होने वाली माँ ग्रेजुएट नहीं हैं और पिता ने तो स्कूल भी पूरा नहीं किया हैं तब उन्होंने से पेपर पर साइन करने से इनकार कर दिया | लेकिन कुछ दिनों बाद उन्होंने हाँ कर दिया क्यूंकि मेरे भविष्य के माता पिता ने उनसे कहा कि वो मुझे एक दिन कॉलेज जरुर भेजेंगे |
सत्रह साल बाद मैं कॉलेज गया और मैंने एक ऐसा कॉलेज चुन लिया जो स्टैंडफोर्ड जितना ही महंगा था और इसमें मेरे माता पिता के जीवन की सारी कमाई मेरी फीस मे व्यव होने लगी थी |छः महीने बीतने के बाद मुझे महसूस हुआ कि यह सब व्यर्थ हैं | मुझे कोई आईडिया नहीं था कि मैं अपने जीवन के लिए क्या चाहता हूँ और वो मुझे इस कॉलेज की पढाई से मिलेगा भी या नहीं और मैं इस कॉलेज में अपने माता पिता की जीवन भर की कमाई लगा रहा था इसलिए मैंने उसे छोड़ने का निर्णय लिया और इस विश्वास के साथ यह निर्णय लिया कि इससे बहार निकलने से मेरा अच्छा ही होगा | उस वक्त यह मेरे लिये एक भयानक निर्णय था लेकिन आज जब पीछे मुढ़कर देखता हूँ तो वो मुझे अब तक का सबसे सही निर्णय लगता हैं |उस समय जब मैंने यह सब छोड़ा तब मुझ पर क्लासेज अटेंड करने की बाध्यता समाप्त हो सकी और मैंने केवल उन्ही क्लास को अटेंड किया जिसमे मुझे इंटरेस्ट था |
यह सब इतना प्रेम पूर्वक नहीं हुआ |मेरे पास एक कमरा तक नही था मैं एक मित्र के कमरे में फर्श पर सोता था मैं कोक की बोतल बेच कर उससे मिलने वाले धन से भोजन खाता था | मैंने प्रति रविवार को सात मिल चल कर कृष्ण मंदिर जाता था जहाँ मुझे सप्ताह में एक दिन भर पेट भोजन मिलता था जो मुझे बहुत अच्छा लगता था | मेरे जीवन में जो भी मैंने अपने उत्साह एवं अंतर्मन से किया उसका परिणाम मेरे लिये अनमोल रहा | मुझे एक और उदाहरण देने दो |
उस समय Reed College पुरे देश में सबसे अच्छी केलीग्राफी सिखाने वाला इंस्टीट्यूट था | पुरे कॉलेज में सभी पोस्टर, ड्रावर पर लिखे लेबल सभी सुंदर केलीग्राफी से सजे हुये थे | चूँकि में छोड़ चूका था इसलिए सभी क्लासेस अटेंड नहीं करता था लेकिन मैंने केलिग्राफी सिखने के लिए उसकी क्लासेज अटेंड करने की सोची | मैंने सेरिफ और सेन सेरिफ टाइप, विभिन्न वर्णों के अक्षरों के बीच बढ़ने वाले स्पेस के बारे में और वह सभी जो इस महान कला को महान बनाता हैं वो सिखा | यह बहुत सुंदर, एतिहासिक, कलापूर्ण जो विज्ञान के क्षेत्र से बहुत दूर थी जो मुझे बहुत आकर्षक लगती थी |
मुझे इस कला को सीखते वक्त एक बार भी विचार नहीं आया था कि मैं कभी इसका कोई प्रेक्टिकल यूज़ करूँगा लेकिन जब दस साल बाद हमने अपना पहला Macintosh computer डिजाईन किया और हमने इसे पूरा MAC में बनाया यह पहला कंप्यूटर था जिसकी टाइपोग्राफी बहुत सुंदर थी |अगर मैंने कभी इस एक क्लास पर कॉलेज ड्राप नहीं किया होता तो यह MAC कंप्यूटर नहीं बन पाता जिसकी मल्टीप्ल टाइपफेसेस और समान स्पेस फोंट्स हैं |और चूँकि विंडो ने MAC की कॉपी किया हैं ऐसा न होता तो शायद ही किसी पर्सनल कंप्यूटर में ये सुविधायें होती | अगर मैंने कभी कॉलेज नही छोड़ा और यह केलिग्राफी की क्लासेज नहीं की होती,तो शायद ही पर्सनल कंप्यूटर में इस तरह की टाइपोग्राफी होती |बिलकुल, जब में कॉलेज में था तब इन डॉट्स को कलेक्ट करके जोड़ना मेरे लिए इम्पोसिबल था लेकिन अब दस साल पीछे मुड़कर देखने पर यह साफ़-साफ़ दिखाई देता हैं |
फिर से, तुम आगे देखते हुये डॉट्स को कनेक्ट नहीं कर सकते,तुम केवल पीछे देखकर ही यह कर सकते हो इसलिये तुम्हे यह विश्वास रखना होगा कि यह डॉट्स आगे जाकर कैसे भी जुड़ जायेंगे |तुम्हे किसी पर भी विश्वास करना होगा अपनी हिम्मत, भाग्य, जीवन,कर्म जिस पर भी करना हो |इस तरीके ने मुझे कभी निचे नहीं दिखाया बल्कि मेरे जीवन को बना दिया |
स्टीव जॉब्स के अनमोल वचन :--
आओ आने वाले कल में कुछ नया करते है बगैर इसकी चिंता करे, की कल क्या हुआ था।
डिजाइन वह नहीं है कि चीज कैसी दिखती या महसूस होती है। डिजाइन वह है कि चीज काम कैसे करती है।
शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है।
आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये। बेकार की सोच में मत फंसिए,अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए। औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को मत डूबने दीजिए।
गुणवत्ता का मापदंड बनिए, कुछ लोग ऐसे वातावरण के आदि नहीं होते जिनसे उत्कृष्टता की उम्मीद की जाती है।
यह निश्चय करना की आपको क्या नहीं करना है उतना ही महत्त्वपूर्ण है जितना की यह निश्चय करना की आप को क्या करना है।
आप ग्राहक से पूंछकर उसकी पसंद के उत्पाद नहीं बना सकते क्योंकि जब तक आप वो बनाएंगे वो कुछ नया चाहने लगेंगे।
कोई Problem आने पर पुराने लोग पूंछते है “यह क्या है” जबकि लड़के पूंछते है “हम इसके साथ क्या कर सकते है”।
मुझे यकीन है कि सफल और असफल उद्यमियों में आधा फर्क तो केवल दृढ विश्वास का ही है।
महान कार्य करने का एक मात्र तरीका यह है की आप अपने काम से प्यार करे।
यदि आप वास्तव में बहुत बारीकी से देखोगे तो आप पाओगे की रातो रात मिलने वाली अधिकतर सफलताओ में बहुत लम्बा वक़्त लगा है।
इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी ज़िन्दगी के बड़े निर्णय लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार मौत के बारे में सोचता हूँ तब सारी उम्मीद, सारा गर्व, असफल होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है। इस बात को याद करना की एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। आप पहले से ही नंगे हैं। ऐसा कोई कारण नहीं है की आप अपने दिल की ना सुने।
किसी चीज़ को महत्तवपूर्ण होने के लिए दुनिया को बदलने की जरुरत नहीं है।
कभी कभी ज़िंदगी आपके सर में पत्थर से चोट करती है, पर विश्वास मत खोना।
यदि आपकी नज़र लाभ पर रहेगी तो आपका ध्यान उत्पाद की गुणवत्ता से हट जायेगा। लेकिन यदि आप एक अच्छा उत्पाद बनाने पर ध्यान लगाओगे तो लाभ अपने आप आपका अनुसरण करेंगा.
निधन:--
सन् 2003 में उन्हे पैनक्रियाटिक कैन्सर की बीमारी हुई। उन्होने इस बीमारी का इलाज ठीक से नहीं करवाया। जॉब्स की 5 अक्टूबर 2011 को 3 बजे के आसपास पालो अल्टो, कैलिफोर्निया के घर में निधन हो गया। उनका अन्तिम सन्स्कार अक्तूबर 2011 को हुआ। उनके निधन के मौके पर माइक्रोसाफ्ट और् डिज्नी जैसी बडी बडी कम्पनियों ने शोक मनाया। सारे अमेंरीका में शोक मनाया गया। वे निधन के बाद अपनी पत्नी और तीन बच्चों को पीछे छोड़ गये।