बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर
April 23 2025
बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिरों में से एक है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है और हनुमान जी के एक महान संत एवं भक्त धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर धाम सरकार) के गुरुकुल एवं आश्रम के रूप में विख्यात है। इस मंदिर का नाम "बागेश्वर" भगवान शिव के एक नाम "वागीश्वर" से लिया गया है, जिसका अर्थ है "वाणी का स्वामी"। यह स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण है और लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
1. बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर का स्थान और नामकरण
स्थान (Location)
बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है, जो झाँसी-खजुराहो मार्ग पर पड़ता है। यह मंदिर छतरपुर शहर से लगभग 80 किमी दूर और झाँसी से लगभग 100 किमी की दूरी पर स्थित है। निकटतम प्रमुख शहर पन्ना (लगभग 40 किमी दूर) है।
नामकरण (Naming)
"बागेश्वर धाम" नाम दो शब्दों से मिलकर बना है:
"बागेश्वर" – यह शब्द "वागीश" (भगवान शिव का एक नाम) और "ईश्वर" से मिलकर बना है।
किंवदंती है कि यहाँ हनुमान जी ने भगवान शिव की तपस्या की थी, जिसके बाद शिवजी ने उन्हें "बागेश्वर" (वागीश्वर का रूप) के नाम से आशीर्वाद दिया।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, इस स्थान पर हनुमान जी ने अपने भक्तों की वाणी (वाक् शक्ति) को नियंत्रित करने का वरदान प्राप्त किया, इसलिए इसे "बागेश्वर" कहा जाता है।
"धाम" – यह शब्द पवित्र स्थान या निवास को दर्शाता है, जो हनुमान जी के दिव्य प्रभाव को व्यक्त करता है।
स्थानीय मान्यताएँ
कुछ लोग मानते हैं कि रामायण काल में हनुमान जी यहाँ रुके थे और इस स्थान को पवित्र बनाया।
मंदिर के पास एक प्राकृतिक जलधारा (कुंड) है, जिसे "पवित्र कुंड" माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इसके जल से स्नान करने से संकट दूर होते हैं।
आधुनिक संदर्भ में पहचान
पहले यह मंदिर एक छोटे गाँव में स्थित था, लेकिन धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (बागेश्वर धाम सरकार) की ख्याति के बाद यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल बन गया है।
अब इसे "बागेश्वर धाम सरकार" या "बागेश्वर धाम दरबार" के नाम से भी जाना जाता है।
2. बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
प्राचीन काल से जुड़ी मान्यताएँ
रामायण कालीन संबंध
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह स्थान रामायण काल से जुड़ा हुआ है।
कहा जाता है कि हनुमान जी लंका दहन के बाद और राम-रावण युद्ध के दौरान यहाँ रुके थे।
कुछ कथाओं में उल्लेख है कि हनुमान जी ने यहाँ भगवान शिव की तपस्या की थी, जिससे इस स्थान को "बागेश्वर" नाम मिला।
मध्यकालीन संदर्भ
मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण 18वीं-19वीं शताब्दी के आसपास माना जाता है।
यह क्षेत्र बुंदेला राजपूत शासकों के अधीन रहा, जिन्होंने छतरपुर व आसपास के क्षेत्रों में कई मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया।
ऐतिहासिक दस्तावेजों में इस मंदिर का स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता, परंतु स्थानीय लोगों की मान्यता है कि यह सदियों से एक गुप्त तीर्थस्थल रहा है।
आधुनिक इतिहास (20वीं-21वीं सदी)
20वीं सदी तक स्थिति
बागेश्वर धाम मूल रूप से एक छोटा ग्रामीण मंदिर था, जहाँ आसपास के गाँवों के लोग ही पूजा करने आते थे।
मंदिर परिसर में एक प्राचीन हनुमान मूर्ति और एक कुंड था, जिसे चमत्कारिक माना जाता था।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का उदय (21वीं सदी)
वर्ष 2010 के बाद से इस मंदिर की ख्याति तेजी से बढ़ी, जब बालाजी (हनुमान जी) के साक्षात् अवतार माने जाने वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री यहाँ प्रकट हुए।
शास्त्री जी के "सत्यनारायण कथा" और भक्तों की समस्याओं का अलौकिक समाधान करने की ख्याति ने इस मंदिर को राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध बना दिया।
आज यह मंदिर "बागेश्वर धाम सरकार" के नाम से जाना जाता है और यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं।
पुरातात्विक एवं स्थापत्य विशेषताएँ
मंदिर की वास्तुकला उत्तर भारतीय नागर शैली में बनी है, जिसमें लाल पत्थर का उपयोग हुआ है।
मुख्य मंदिर के अलावा परिसर में शिवलिंग, राम दरबार और अन्य छोटे मंदिर भी हैं।
कुंड का जल सदैव स्वच्छ रहता है, जिसे "पापनाशक" माना जाता है।
3. बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर का धार्मिक महत्व
बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर न केवल एक पवित्र स्थल है, बल्कि आध्यात्मिक शक्ति, चमत्कारों और भक्ति की अद्भुत गाथाओं का केंद्र भी है। यहाँ के धार्मिक महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है:
1. हनुमान जी का "संकटमोचन" स्वरूप
इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति "संकटमोचन" रूप में विराजमान है, जो भक्तों के सभी कष्टों को दूर करने वाले माने जाते हैं।
मान्यता है कि यहाँ सच्चे मन से की गई हर प्रार्थना हनुमान जी द्वारा सुनी जाती है और भक्तों को तत्काल फल की प्राप्ति होती है।
2. पौराणिक एवं तांत्रिक महत्व
किंवदंती है कि यह स्थान त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है, जहाँ हनुमान जी ने शिवजी की तपस्या करके उनसे विशेष शक्तियाँ प्राप्त कीं।
मंदिर के आसपास का क्षेत्र तांत्रिक साधनाओं के लिए भी प्रसिद्ध रहा है। कहा जाता है कि यहाँ सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए साधक तपस्या करते थे।
3. पवित्र कुंड का महत्व
मंदिर परिसर में एक प्राकृतिक जलधारा (कुंड) है, जिसका जल "अमृततुल्य" माना जाता है।
श्रद्धालु इस कुंड में स्नान करके पापों से मुक्ति और रोगों से छुटकारा पाने की आशा रखते हैं।
कुंड के जल को "हनुमान जी का प्रसाद" माना जाता है, जिसे भक्त घर ले जाते हैं।
4. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का आध्यात्मिक प्रभाव
बागेश्वर धाम सरकार (धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री) के आगमन के बाद इस मंदिर की ख्याति देश-विदेश में फैली है।
शास्त्री जी को हनुमान जी का अवतार माना जाता है, जो भक्तों के कष्टों का निवारण करते हैं।
उनके "सत्यनारायण कथा" और "भक्तों की समस्याओं का अलौकिक समाधान" इस मंदिर को एक चमत्कारिक स्थल बना देता है।
5. विशेष धार्मिक आयोजन
हनुमान जयंती, रामनवमी, दीपावली और मंगलवार के दिन यहाँ विशाल भक्ति समारोह होते हैं।
"महाभंडारे" का आयोजन किया जाता है, जहाँ हजारों लोगों को मुफ्त भोजन कराया जाता है।
"अखंड रामायण पाठ" और "हनुमान चालीसा महायज्ञ" जैसे कार्यक्रमों से मंदिर का वातावरण दिव्य ऊर्जा से भर जाता है।
6. भक्तों की आस्था के प्रमाण
यहाँ आने वाले भक्त नारियल, लाल चुनरी, सिंदूर और गुड़-चना का भोग चढ़ाते हैं।
मान्यता है कि यहाँ मन्नत माँगने पर हनुमान जी अवश्य सुनते हैं, और मन्नत पूरी होने पर भक्त घंटी बाँधकर आते हैं।
कई लोगों का दावा है कि उन्हें यहाँ अदृश्य शक्तियों का साक्षात्कार हुआ है।
4. बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री: व्यक्तित्व एवं आध्यात्मिक योगदान
प्रारंभिक जीवन एवं जन्म
पूरा नाम: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (लोकप्रिय नाम: "बागेश्वर धाम सरकार")
जन्म: 4 जुलाई 1996 (आयु ~27 वर्ष), मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के गड़ा गाँव में
पारिवारिक पृष्ठभूमि: साधारण किसान परिवार। पिता श्री रामकृपाल गर्ग, माता श्रीमती सरोज गर्ग।
बचपन: बाल्यावस्था से ही आध्यात्मिक रुझान। स्थानीय स्कूल में शिक्षा प्राप्त की।
आध्यात्मिक यात्रा का प्रारंभ
हनुमान जी से साक्षात्कार:
शास्त्री जी बताते हैं कि 12 वर्ष की आयु में हनुमान जी ने उन्हें स्वप्न में दर्शन दिए और "कलयुग में भक्तों का उद्धार करने" का आदेश दिया।
इसके बाद उन्होंने संस्कृत, वेद, पुराणों का गहन अध्ययन किया।
बागेश्वर धाम से जुड़ाव:
उनके पितामह (दादा) भी इस मंदिर से जुड़े थे। धीरेंद्र कृष्ण ने यहाँ हनुमान जी की उपासना शुरू की और लोगों को मुफ्त में उपदेश देना आरंभ किया।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की ख्याति के कारण
अलौकिक शक्तियाँ एवं भविष्यवाणियाँ:
शास्त्री जी को "मनपढ़ने की क्षमता" (भक्तों के अदृश्य संकटों को जान लेना) के लिए जाना जाता है।
वे भक्तों के कर्मों, पूर्वजन्म के दोषों और समस्याओं का सटीक विश्लेषण करते हैं।
सत्यनारायण कथा एवं प्रवचन:
उनके "सत्यनारायण कथा" कार्यक्रमों में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
प्रवचनों में वे रामायण, महाभारत और आधुनिक जीवन की समस्याओं का समाधान बताते हैं।
मीडिया एवं सोशल मीडिया प्रभाव:
TV चैनल्स (साधना, आस्था आदि) और YouTube पर उनके प्रवचनों ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलाई।
उनके भक्तों की चमत्कारिक कहानियाँ सोशल मीडिया पर वायरल होती हैं।
विवाद एवं आलोचनाएँ
अंधविश्वास का आरोप: कुछ लोग उनकी शक्तियों को "जादू-टोना" या प्रोपेगैंडा बताते हैं।
TV डिबेट्स में चुनौती: 2023 में कुछ लोगों ने उन्हें "साइंटिफिक टेस्ट" करने की चुनौती दी, जिसे शास्त्री जी ने "भक्ति विज्ञान से परे" कहकर टाल दिया।
शास्त्री जी का जवाब:
"मैं कोई चमत्कारी बाबा नहीं, बस हनुमान जी का छोटा सा सेवक हूँ। जो भी होता है, प्रभु की कृपा से होता है।"
समाज सेवा एवं योगदान
मुफ्त चिकित्सा शिविर:
बागेश्वर धाम में नि:शुल्क डॉक्टरों द्वारा इलाज की व्यवस्था कराई जाती है।
शिक्षा एवं अन्नदान:
गरीब बच्चों के लिए विद्यालय और भंडारे आयोजित किए जाते हैं।
धार्मिक एकता:
उनके प्रवचनों में हिंदू-मुस्लिम एकता पर जोर दिया जाता है।
वर्तमान में प्रभाव
दैनिक दर्शनार्थियों की संख्या: 10,000 से 50,000 (विशेष अवसरों पर लाखों)
अंतर्राष्ट्रीय पहचान: अमेरिका, यूएई, नेपाल आदि देशों में भक्त मंडली।
पुस्तकें एवं डॉक्यूमेंट्री: उनके जीवन पर कई पुस्तकें और YouTube डॉक्यूमेंट्री बनी हैं।
5. बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर की वास्तुकला एवं परिसर
1. मंदिर की स्थापत्य शैली
बागेश्वर धाम मंदिर उत्तर भारतीय हिंदू मंदिर वास्तुकला के अनुरूप बना है, जिसमें निम्नलिखित विशेषताएँ देखी जा सकती हैं:
शिखर (गर्भगृह का शीर्ष भाग): लाल रंग के पत्थरों से निर्मित, जिस पर सुनहरी कलश सुशोभित है।
मंडप (सभा स्थल): भक्तों के बैठने के लिए विशाल हॉल, जहाँ प्रतिदिन हनुमान चालीसा, कीर्तन एवं सत्संग होते हैं।
गर्भगृह: मुख्य हनुमान मूर्ति यहाँ विराजमान है, जिसके चारों ओर राम-लक्ष्मण-सीता की छवियाँ भी स्थापित हैं।
2. मुख्य मंदिर की विशेषताएँ
हनुमान मूर्ति:
मूर्ति लाल चोला चढ़े हुए हनुमान जी की है, जो भक्तों की ओर आशीर्वाद की मुद्रा में हैं।
मूर्ति के समीप ही गदा एवं ध्वजा स्थापित हैं।
अलौकिक प्रतीक:
मान्यता है कि मूर्ति के सामने खड़े होकर सच्चे मन से माँगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है।
3. मंदिर परिसर के प्रमुख भाग
पवित्र कुंड (हनुमान सरोवर):
मंदिर के पीछे स्थित इस कुंड का जल चमत्कारिक गुणों से युक्त माना जाता है।
भक्त यहाँ स्नान कर पापों से मुक्ति की कामना करते हैं।
राम दरबार मंदिर:
हनुमान मंदिर के समीप ही राम, सीता, लक्ष्मण एवं हनुमान जी की संयुक्त मूर्तियाँ स्थापित हैं।
शिवलिंग एवं अन्य देवी-देवता:
परिसर में भगवान शिव, दुर्गा माँ एवं शनि देव के छोटे मंदिर भी हैं।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का आश्रम:
मंदिर के निकट ही शास्त्री जी का निवास स्थल है, जहाँ वे भक्तों को दर्शन एवं मार्गदर्शन देते हैं।
4. नवीनीकरण एवं विस्तार
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के प्रभाव से मंदिर परिसर का विस्तार हुआ है।
अब यहाँ विशाल यज्ञशाला, भक्त निवास (धर्मशाला) एवं भोजनालय की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
5. विशेष स्थापत्य प्रतीक
लाल झंडा (ध्वज): मंदिर के शिखर पर लगा भगवा ध्वज हनुमान जी की शक्ति का प्रतीक है।
घंटियों की पंक्तियाँ: भक्त मन्नत पूरी होने पर यहाँ घंटी बाँधते हैं, जिससे पूरा परिसर दिव्य ध्वनि से गूँजता रहता है।
6. बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर के प्रमुख त्योहार और आयोजन
बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर में वर्षभर विभिन्न धार्मिक उत्सवों और आयोजनों का आयोजन किया जाता है, जो भक्तों की आस्था और उत्साह को दर्शाते हैं। यहाँ के कुछ प्रमुख त्योहार और विशेष आयोजन निम्नलिखित हैं:
1. हनुमान जयंती
महत्व: हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
आयोजन:
मंदिर को फूलों और रोशनी से सजाया जाता है।
अखंड हनुमान चालीसा पाठ और भंडारे का आयोजन किया जाता है।
शोभायात्रा (जुलूस) निकाली जाती है, जिसमें हनुमान जी की मूर्ति को सजाकर पूरे गाँव में घुमाया जाता है।
2. रामनवमी
महत्व: भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
आयोजन:
रामायण पाठ और कीर्तन-भजन का आयोजन।
हनुमान जी के मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
प्रसाद वितरण और भंडारा लगाया जाता है।
3. दीपावली
महत्व: हनुमान जी को दीपावली का त्योहार विशेष रूप से प्रिय है।
आयोजन:
मंदिर को दीयों और रोशनी से सजाया जाता है।
लक्ष्मी-गणेश पूजन के साथ-साथ हनुमान जी की विशेष आरती की जाती है।
आतिशबाजी और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
4. मंगलवार का विशेष महत्व
महत्व: हनुमान जी का दिन माना जाता है।
आयोजन:
हर मंगलवार को विशेष हनुमान चालीसा पाठ होता है।
भक्त लाल चुनरी, सिंदूर और गुड़-चना का भोग चढ़ाते हैं।
मन्नत पूरी होने पर भक्त यहाँ घंटी बाँधते हैं।
5. नवरात्रि और दुर्गा पूजा
महत्व: माँ दुर्गा की आराधना के साथ-साथ हनुमान जी की पूजा भी की जाती है।
आयोजन:
नवरात्रि के नौ दिनों तक विशेष पूजा और हवन किया जाता है।
दुर्गा मंदिर में भी विशेष आरती और भंडारे का आयोजन होता है।
6. सत्यनारायण कथा एवं महायज्ञ
महत्व: धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा आयोजित विशेष धार्मिक कार्यक्रम।
आयोजन:
महासत्संग और कथा प्रवचन के दौरान हजारों भक्त एकत्रित होते हैं।
हवन-यज्ञ किया जाता है, जिसमें भक्तों के लिए विशेष प्रसाद वितरित किया जाता है।
7. अन्नदान एवं भंडारे
महत्व: सेवा और दान का विशेष अवसर।
आयोजन:
प्रतिमाह महाभंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों लोगों को मुफ्त भोजन कराया जाता है।
गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और आवश्यक सामग्री वितरित की जाती है।
1. हनुमान जी पर प्रेरणादायक उद्धरण
"जब भी संकट आए, बस 'बागेश्वर धाम' के संकटमोचन हनुमान का नाम लो, प्रभु साथ देंगे।"
"हनुमान जी की भक्ति ही वह शक्ति है जो हर अंधकार को प्रकाश में बदल देती है।"
2. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के विचार
"सच्ची भक्ति वही है जो मन, वचन और कर्म से प्रभु के चरणों में समर्पित हो।"
"बागेश्वर धाम कोई साधारण स्थान नहीं, यहाँ हर पत्थर में हनुमान जी की कृपा बसी है।"
3. आध्यात्मिक शक्ति पर
"यहाँ आने वाले भक्तों का हर दुख हनुमान जी के नाम से धूल के समान मिट जाता है।"
"बागेश्वर धाम सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि भक्तों की आशा का केंद्र है।"
4. भक्ति और समर्पण पर
"जो भी सच्चे मन से यहाँ आता है, हनुमान जी उसके जीवन की हर बाधा दूर कर देते हैं।"
"भक्ति की शक्ति अद्भुत है—बागेश्वर धाम इसका जीवंत उदाहरण है।"
बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर कैसे पहुँचें?
बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर (छतरपुर, मध्य प्रदेश) तक पहुँचने के लिए हवाई, रेल और सड़क मार्ग से यात्रा की जा सकती है। यहाँ विस्तृत जानकारी दी गई है:
निकटतम हवाई अड्डा:
खजुराहो एयरपोर्ट (HJR) – लगभग 80 किमी दूर (सीधी टैक्सी/बस उपलब्ध)।
झाँसी एयरपोर्ट – लगभग 100 किमी दूर।
दिल्ली/मुंबई/वाराणसी से खजुराहो के लिए डायरेक्ट फ्लाइट्स उपलब्ध हैं।
निकटतम रेलवे स्टेशन:
छतरपुर रेलवे स्टेशन (CTP) – लगभग 70 किमी दूर।
महोबा रेलवे स्टेशन (MBA) – लगभग 60 किमी दूर।
ट्रेन विकल्प:
दिल्ली से झाँसी एक्सप्रेस या महोबा पैसेंजर से यात्रा कर सकते हैं।
ट्रेन से उतरने के बाद टैक्सी/बस से बागेश्वर धाम पहुँचें।
बस/टैक्सी द्वारा:
दिल्ली से: NH44 के माध्यम से 500 किमी (लगभग 10-12 घंटे)।
झाँसी/खजुराहो से: सीधी बसें/टैक्सी उपलब्ध (2-3 घंटे)।
निजी वाहन:
गूगल मैप्स पर "Bageshwar Dham Sarkar, Chhatarpur" लोकेशन सेट करें।
ऑटो-रिक्शा/टैक्सी: मंदिर तक पहुँचने के लिए उपलब्ध।
पार्किंग: मंदिर परिसर के पास निःशुल्क पार्किंग सुविधा है।
सर्वोत्तम समय: अक्टूबर से मार्च (मौसम सुहावना)।
विशेष दिन: मंगलवार और हनुमान जयंती पर भीड़ अधिक होती है।
ऑनलाइन बुकिंग: नजदीकी होटल/धर्मशाला पहले से बुक करें।
बागेश्वर धाम हनुमान मंदिर: सम्पूर्ण निष्कर्ष
1. आध्यात्मिक महत्व का केंद्र
बागेश्वर धाम केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि श्रद्धा, आस्था और चमत्कारों का जीवंत तीर्थ है। यहाँ आने वाले भक्तों को हनुमान जी की अद्भुत कृपा का अनुभव होता है।
2. ऐतिहासिक-सांस्कृतिक धरोहर
प्राचीन मान्यताओं से जुड़ा यह स्थल रामायण काल से लेकर आधुनिक युग तक की गाथाएँ समेटे हुए है।
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के प्रभाव ने इसे वैश्विक पहचान दिलाई।
3. वास्तुकला एवं परिसर
सादगी भरी उत्तर भारतीय शैली में बना यह मंदिर अपने पवित्र कुंड, हनुमान विग्रह और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है।
4. सुगम यात्रा व्यवस्था
छतरपुर जिले में स्थित यह मंदिर हवाई, रेल व सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है।
निकटतम हवाई अड्डा: खजुराहो (80 किमी)।
5. जीवन-परिवर्तनकारी अनुभव
भक्त यहाँ से आशीर्वाद, मानसिक शांति और संकटों से मुक्ति पाकर लौटते हैं। हनुमान जी की भक्ति यहाँ जीवन की हर बाधा हरने का संदेश देती है।
अंतिम शब्द:
"बागेश्वर धाम सिर्फ एक गंतव्य नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि की यात्रा है। जहाँ हर प्रार्थना सुनने वाले संकटमोचन हनुमान साक्षात् विराजमान हैं।"
Bageshwar Dham Hanuman Temple
April 23 2025