
श्री विनोद अग्रवाल
जन्म: | दिल्ली |
मृत्यु: | 05 नबम्बर 2019, मथुरा |
पिता: | किशनदास जी |
माता: | श्रीमती रत्नी देवी |
जीवनसंगी: | श्रीमती कुसुमलता अग्रवाल |
बच्चे: | जतिन अग्रवाल और पुत्री श्रीमती शिखा अग्रवाल |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
धर्म : | जैन |
शिक्षा: | यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग से साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन |
विनोद अग्रवाल की जीवनी :-
6 जून 1955 को दिल्ली में जन्मे भजन गायक विनोद अग्रवाल के पिता स्व. किशननंद अग्रवाल और मां स्वर्गीय रत्नदेवी अग्रवाल की भगवान राधा-कृष्ण में अटूट आस्था थी। सन1962 में 7 साल की उम्र में माता-पिता और भाई-बहनों के साथ वह दिल्ली से मुंबई चले गए।
श्री विनोद अग्रवाल जी की शिक्षा:-
07 वर्ष की आयु तक दिल्ली में रहे, जहॉ उन्होंने कक्षा 02 तक की पढ़ाई की। वर्ष 1962 में वे अपने परिवार के साथ मुंबई आ गये, जहां से उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की। मुंबई में वे वर्ष 2012 तक रहे।चूंकि विनोद अग्रवाल जी बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे इसलिए जब वे कक्षा 11वीं में थे तो उनकी प्रबल इच्छा थी कि वे डॉक्टर बने और समाज में विभिन्न रोगों से पीडि़त व्यक्तियों की सेवा करके उनके दुख को दूर करें और लोगों को ईश्वर की भक्ति से जोड़े।
विनोद अग्रवाल जी गणित, फिजिक्स, केमिस्ट्री, विज्ञान में निपुण थे इसलिए वे अपने सहपाठियों को नि:शुल्क ट्यूशन पढ़ाते थे, क्योंकि उनका मानना था कि ईश्वर ने उन्हें जो कुछ भी दिया है, उसका नि:शुल्क वितरण करना है, लेकिन स्नातक के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी और अपने पिता के साथ व्यवसाय में सहयोग करने लगे।
श्री विनोद अग्रवाल जी की शादी:-
20 वर्ष की आयु में विनोद अग्रवाल जी का विवाह हो गया था। उनकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती कुसुमलता अग्रवाल है, जो दिल्ली की रहने वाली हैं। जो बहुत ही सुशील, साफ व सरल मन की एक आदर्श ग्रहिणी हैं और विनोद अग्रवाल जी के हर निर्णय में वो पूरे मन से सहयोग भी करती थी, जिसका परिणाम है कि विनोद अग्रवाल जी ने इतनी सहजता से हरिनाम जन-जन तक पहुंचाया। इस बात को विनोद अग्रवाल जी भगवान की ही कृपा मानते हैं कि उन्हें एक बहुत ही अच्छी जीवनसंगिनी मिलीं।
केवल 12 वर्ष की आयु में उन्होंने भजन गायन आरंभ किया और हारमोनियम बजाना सीख लिया। उनके परिवार में सभी कृष्ण भक्त थे तो माता-पिता ने उन्हें भजन गाने के लिए प्रोत्साहित किया। 1971 में उन्होंने भटिंडा, पंजाब के गुरु मुकुंद हरि महाराज से दीक्षा ली।
उनके गुरु की इच्छा थी कि विनोद सारी दुनिया में हरि नाम का प्रचार करे। 11 दिसंबर 1975 में 20 वर्ष की आयु में उनका विवाह कुसुमलता से हुआ। उनके दो बच्चे भी हैं, बेटा जतिन और बेटी शिखा की शादी हो चुकी है। बेटे ने कपड़े का कारोबार शुरू किया। इन दिनों भजन गायक विनोद अग्रवाल के हौसले बुलंदियों को छू रहे थे।
अपनी आवाज से करोड़ों दिलों पर राज करने वाले भजन सम्राट विनोद अग्रवाल ने यूं तो हजारों भजन गाए लेकिन आज भी उनके मुख की रसमयी
वाणी से गाया गया भजन मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है, करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है...को सुनने के लिए लाखों लोग बेताब नजर आते
हैं। नम आंखों से गाए गए इन भजनों को सुन श्रोता भी स्वयं के आंसू नहीं रोक पाते थे। फूलों में सज रहे हैं, श्री वृंदावन बिहारी...की पंक्तियां जब उनके मुख से निकलती तो श्रोता भी आनंद के सागर में हिलोरे लेने लगते। गायकी की इस प्रतिभा के धनी विनोद अग्रवाल भले ही आज लोगों के बीच न हो, लेकिन उनकी गायकी अब भी करोड़ों श्रोताओं के जहन में बसी हुई है।
विनोद अग्रवाल के गाए गए भजन देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी खूब पसंद किए गए। उन्होंने सिंगापुर, इटली, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, आयरलैंड, दुबई जैसे देशों में लाइव कार्यक्रम कर श्रोताओं का दिल जीता।
विनोद अग्रवाल के पिता का नाम किशननंद अग्रवाल और मां का नाम रत्नदेवी अग्रवाल था.
साल 1962 में उनके माता-पिता और भाई-बहन मुंबई चले गए थे.
12 साल की उम्र में ही उन्होंने भजन गाना और हारमोनियम बजाना सीख लिया था.
उनके भजन सिर्फ़ भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी काफ़ी पसंद किए जाते थे.
उन्होंने देश और विदेश में 1500 से ज़्यादा लाइव परफ़ॉर्मेंस दिए हैं.
उनके कृष्ण भजन सिंगापुर, इटली, ब्रिटेन, स्विट्ज़रलैंड, फ़्रांस, जर्मनी, कनाडा, आयरलैंड, और दुबई जैसे देशों में काफ़ी पसंद किए जाते थे.
उनकी शादी कुसुमलता अग्रवाल से हुई थी.
उनके दो बच्चे हैं, जिनके नाम जतिन और शिखा हैं.
उनके माता-पिता भी भगवान कृष्ण और राधा में अटूट विश्वास करते थे.
इसलिए उन्हें बचपन से ही कृष्ण का भक्तिमय वातावरण मिला था.
उनके माता-पिता ने भी कृष्ण के भजन गायन में उन्हें प्रोत्साहित किया |
ये प्रमुख भजन :-
मेरा आपकी कृपा से, सब काम हो रहा है...
फूलो में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन बिहारी...
-आवी-आवी रे कन्हाई तेरी याद आई...-
आओ श्यामजी कन्हैया नंदलाल जी...
-आप क्या जानो ऐ श्याम सुन्दर...
-जहां ले चलोगे, वहीं मैं चलूंगा...
-एक आस तुम्हारी है...
-ना जी भर के देखा, ना कुछ बात की...
-हर सांस में हो सुमिरन तेरा...
-जगत के रंग क्या देखूं, तेरा दीदार काफी है...
-दिल की हर धड़कन से, तेरा नाम निकलता है...
-अपना चंदा सा मुखड़ा दिखाए जा...
-किस से नजर मिलाऊं तुम्हें देखने के बाद..
* मेरे दिल में रहने वाले मुझसे नकाब क्यों भजन लिरिक्स:-
मेरे दिल में रहने वाले मुझसे नकाब क्यों, इतना मुझे बता दे मुझसे छिपाओ क्यों,
मैंने तो ये सुना तुम हो दया के सागर, लाखो को तुने तारा मुझसे जबाब क्यों,
मेरे दिल में ….
मेरे गुन्हा है लाखो ये भी तो मैंने माना, औरों से कुछ न पूछा मुझसे हिसाब क्यों,
मेरे दिल ……..
तूने जिसे अपनाया उसको खुदा बनाया, उनका नशीब अच्छा मेरा खराब क्यों,
मेरे दिल में …….
आजाद के अंदर भी है कुछ तो कमाल तेरा, बेहद का है तू दरिया तू फिर बेनकाब क्यों,
कईओं को पास रखा कई दूर तुमने रखे, समदरसी नाम तेरा फिर ऐसा जनाब क्यों
मेरे दिल में रहने वाले मुझसे नकाब क्यों, इतना मुझे बता दे मुझसे छिपाओ क्यों।।
* हर साँस में हो सुमिरन तेरा भजन लिरिक्स :-
हर साँस में हो सुमिरन तेरा, यूँ बीत जाये जीवन मेरा,
तेरी पूजा करते बीते साँझ सवेरा यूँ बीत जाये जीवन मेरा
नैनो की खिड़की से तुमको पल पल मै निहारूँ, मन में बिठालू, तेरी आरती उतारूँ
डाले रहू तेरे चरणों में डेरा, यूँ बीत जाए जीवन मेरा
हर साँस में हो सुमिरन तेरा, यूँ बीत जाए जीवन मेरा
जो भी तेरा प्यारा हो, वो मेरे दिल का प्यारा हो, मेरे सर का ताज मेरी आँखों का तारा हो
सबमे निहारूँ रूप सुनहरा, यूँ बीत जाए जीवन मेरा।
हर साँस में हो सुमिरन तेरा, यूँ बीत जाए जीवन मेरा
प्यार हो, सत्कार हो, एतबार हो तुम्हारा, सुख भी हो सारे और याद हो इशारा
हो आत्मा पर तेरा ही डेरा, यूँ बीत जाए जीवन मेरा
हर साँस में हो सुमिरन तेरा, यूँ बीत जाए जीवन मेरा
तेरी पूजा करते बीते साँझ सवेरा, यूँ बीत जाए जीवन मेरा
हर साँस में हो सुमिरन तेरा, यूँ बीत जाए जीवन मेरा
प्यारे यूँ बीत जाए जीवन मेरा
राधे राधे गोविन्द, गोविन्द राधे, राधे राधे गोविन्द, गोविन्द राधे
गोविन्द राधे, गोपाल राधे, गोविन्द राधे, गोपाल राधे।।
* श्री राधा हमारी गोरी गोरी भजन लिरिक्स :-
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल किशोरी, कन्हैया तेरो कारो है।
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्यारो, श्री राधा जी को प्यारो है॥
श्री श्यामा किशोरी,
गोरे मुख पे तिल बनेओ, ताहि करूँ मैं प्रणाम। मानो चन्द्र बिछाई के पौढ़े सालगराम॥
राधे तू बडभागिनी, कौन तपस्या कीन, तीन लोक का रणतरण वो तेरे आधीन॥
कीर्ति सुता के पग पग में प्रयागराज, केशव की केलकुंज कोटि कोटि काशी है।
यमुना में जगन्नाथ रेणुका में रामेश्वर, थर थर पे पड़े रहें अयोध्या के वासी हैं।
गोपीन के द्वार द्वार हरिद्वार वसत यहाँ, बद्री केदारनाथ फिरत दास दासी हैं।
स्वर्ग अपवर्ग सुख लेकर हम करें कहाँ, जानते नहीं हम वृन्दावन वासी हैं॥
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल किशोरी, कन्हैया तेरो कारो है।
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्यारो, श्री राधा जी को प्यारो है॥
योगी जन जान पाते है ना जिस का प्रभाव, जिस की कला का पार शारदा न पाती है।
नारद आदि ब्रहम वादीओ ने भी न पाया तत्व, दिव्य दिव्य शक्तियां भी नित्य गुण गातीं हैं।
शंकर समाधी में ढुंढते हैं जिसको, श्रुतियां भी नेति नेति कह हार जातीं हैं।
वो नाना रूप धारी विष्णु मोहन मुरारी, उस विष्व के मदारी को गोपियाँ नाचतीं हैं॥
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल किशोरी, कन्हैया तेरो कारो है।
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्यारो, श्री राधा जी को प्यारो है॥
श्याम तन श्याम मन श्याम ही हमारो धन, आठों याम उधो हमें श्याम ही सो काम है।
श्याम हिये श्याम जीय श्याम बिनु नहीं पिय, अंधे की सी लाकडी आधार श्याम नाम है।
श्याम गति श्याम मति श्याम ही है प्रानपति, श्याम सुखधाम सो भलाई आठो याम है।
उधो तुम भये भोरे पाती ले के आये दोड़े, योग कहाँ राखें यहाँ रोम रोम श्याम है॥
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल किशोरी, कन्हैया तेरो कारो है।
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्यारो, श्री राधा जी को प्यारो है॥
गवार से राजकुमार भये, जब भानु के द्वार लो आन लगें हैं।
बंसरी की उभरी है कला, जब किरिती किशोरी के गाने लगें हैं।
राधिका के संग फेरे पड़े, तब से कहना इतराने लगें हैं॥
हमरी राधा की कौन करे होड़, सुनो रे प्यारे नन्द गईया।
राधा हमारी भोरी भारी, यो तो छलिया माखन चोर।
देखो तेरे कनुआ की छतरी पुराणी, वा की छतरी की कीमत करोड़।
चार टके की तेरी कारी कमरिया, या की चुनरी की कीमत करोड़।
देखो तेरे कनुआ को मुकुट झुको है, हमरी राधा के चरनन की और।
ब्रजमंडल के कण कण में बसी तेरी ठकुराई। कालिंदी की लहर लहर ने, तेरी महिमा गाई॥
पुलकत हो तेरा यश गावे, श्री गोवर्धन गिरिराई। ले ले नाम तेरो मुरली में नाचे कुवर कहनाई॥
क्यों आ के रो रहा है गोविन्द की गली में:-
kyun aa ke ro raha hai govind ki gali me har dard ki dawa hai krishna bhajan by vinod agarwal ji :-
क्यों आ के रो रहा है, गोविन्द की गली में। हर दर्द की दवा है, गोविन्द की गली में॥
तू खुल के उनसे कह दे, जो दिल में चल में चल रहा है, वो जिंदगी के ताने बाने जो बुन रहा है।
हर सुबह खुशनुमा है, गोविन्द की गली में॥
तुझे इंतज़ार क्यों है, किसी इस रात की सुबह का, मंजिल पे गर निगाहें, दिन रात क्या डगर क्या।
हर रात रंगनुमा है, गोविन्द की गली में॥ कोई रो के उनसे कह दे, कोई ऊँचे बोल बोले,
सुनता है वो उसी की, बोली जो उनकी बोले। हवाएं अदब से बहती हैं, गोविन्द की गली में॥
दो घुट जाम के हैं, हरी नाम के तू पी ले, फिकरे हयात क्यों है, जैसा है वो चाहे जी ले।
साकी है मयकदा है, गोविन्द की गली में॥ इस और तू खड़ा है, लहरों से कैसा डरना,
मर मर के जी रहा है, पगले यह कैसा जीना। कश्ती है ना खुदा है, गोविन्द की गली में॥
किस से नज़र मिलाऊँ तुम्हे देखने के बाद:-
kisse nazar milaun tumhe dekhne ke baad krishna bhajan by Vinod Agarwal
किस से नज़र मिलाऊँ तुम्हे देखने के बाद, आँखों में ताबे दीद अब बाकी नहीं रहा
किससे नज़र मिलाऊँ तुम्हे देखने के बाद...
सारे देवतों का एहतराम भी मेरी निगाह में है
किस किस को सर झुकाऊं, तुम्हे देखने के बाद, किससे नज़र मिलाऊँ तुम्हे देखने के बाद...
है लुत्फ़ बस इसी में मज़ा इसी में है, अपना पता ना पाऊं, तुम्हे देखने के बाद
किससे नज़र मिलाऊँ तुम्हे देखने के बाद...
मेरा एक तू ही तू है दिलदार प्यारे काहना, झोली कहां फैलाऊँ, तुम्हे देखने के बाद
किससे नज़र मिलाऊँ तुम्हे देखने के बाद...
प्यारे यह प्यार तेरा महफ़िल में खींच लाया, महबूब प्यार तेरा महफ़िल में खींच लाया
दिलबर यह प्यार तेरा महफ़िल में खींच लाया, दिल की किसे सुनाऊं, तुम्हे देखने के बाद
किससे नज़र मिलाऊँ तुम्हे देखने के बाद...
साहिल पे रुक ना जाऊं, तुम्हे देखने के बाद, सागर में डूब जाऊं, तुम्हे देखने के बाद |
जो तुमको भूल जाए वो दिल कहां से लाऊं:-
jo tumko bhool jaye vo dil kahan se laaun by Vinod Agarwal ji:-
जो तुमको भूल जाए, वो दिल कहां से लाऊं दिल है तो दिल में क्या है,
कैसे तुम्हे बताऊँ मेरे दिल का राज़ गम है,
तू है बेनेयाज़ गम से तुझे अपने दर्दे दिल की क्या दासता सुनाऊं
कहीं राह में गिर ना जाऊं मेरे दिल की बेबसी में अरमान थक गएँ हैं
तेरी राह पे नज़र है अब और चल ना पाऊं
मुझे याद तुम हो लेकिन, मुझे याद भी है अपनी
कभी यूँ भी याद आओ, के मैं खुद को भूल जाऊनहीं अब रहा भरोसा मदहोश जिंदगी कातेरी याद के नशे में