जन्म: | सन् 1540 पाइनू, फ्रांस |
मृत्यु: | 13 दिसंबर, 1603 |
राष्ट्रीयता: | फ्रांस |
किताबें | रचनाएँ : | तीन वृत्तों को स्पर्श करता हुआ वृत्त |
फ्रांकोइस वीटे
सोलहवीं शताब्दी के श्रेष्ठ बीजगणितज्ञ फ्रांकोइस वीटे का जन्म सन् 1540 में फ्रांस में पाइनू नामक स्थान पर हुआ था। वीटे ने प्रारंभ में कानून की पढ़ाई की थी और एक वकील के रूप में अपना कैरियर प्रारंभ किया था।
सन् 1567 के बाद वे शासन के सलाहकार बने, पर उथल-पुथल के दौरान उन्हें सबकुछ छोड़-छाड़कर भाग जाना पड़ा। पर बाद में सत्ता परिवर्तन के बाद नए शासकों ने उन्हें पुनः नियुक्त किया। जीवन के उत्तरार्द्ध में वीटे ने बीजगणित के क्षेत्र में श्रेष्ठ योगदान किया । उन्होंने अपने पूर्ववर्तियों के कार्यों को आगे बढ़ाया। वे पहले लेखक थे, जिन्होंने संख्यात्मक मानों को व्यक्त करने के लिए अक्षरों का बड़े पैमाने पर उपयोग किया।
उन्होंने चरों के लिए स्वरों का तथा अचरों के लिए व्यंजनों का उपयोग किया। उन्होंने अनेक तकनीकी शब्दों का उपयोग बीजगणित में किया। इनमें से अनेक आज भी उपयोग होते हैं। लगभग अनुमान लगाने के लिए जिस प्रकार न्यूटन ने समीकरणों का प्रयोग किया था, उसी प्रकार वीटे ने भी किया था। उन्होंने सामान्य बहुपद समीकरणों को रैखिक घटकों में परिवर्तित करने का भी प्रयास किया, पर सफलता नहीं मिली। ज्यामितीय निर्माण में भी उन्होंने बीजगणित का उपयोग किया।
सन् 1600 तक वीटे के गणित ज्ञान का डंका बज चुका था। उन्होंने तीन वृत्तों को स्पर्श करता हुआ वृत्त खींचा था। पर वे खगोल-शास्त्र में कमजोर थे। इस कारण उस समय कैलेंडर में जो सुधार हो रहे थे, उनका उन्होंने विरोध किया था। पर कुल मिलाकर अपने जीवनकाल में ही उन्होंने खासी प्रसिद्धि प्राप्त कर ली थी।
13 दिसंबर, 1603 को उनका निधन हो गया था।