जोआंस बैपटिस्ट वॉन हेल्मांट

जोआंस बैपटिस्ट वॉन हेल्मांट

जोआंस बैपटिस्ट वॉन हेल्मांट

जन्म: जनवरी, 1580 ब्रसेल्स,(बेल्जियम)
मृत्यु: 30 दिसम्बर, 1644 (बेल्जियम)

प्रख्यात रसायन-शास्त्री व चिकित्सक तथा पहले-पहल ‘गैस’ शब्द का उपयोग करनेवाले वॉन हेल्मांट का जन्म जनवरी 1580 में ब्रसेल्स में हुआ था। वे एक कुलीन परिवार के थे तथा उनकी शिक्षा लोवेन विश्वविद्यालय में संपन्न हुई। वहाँ पर उन्होंने धर्म व दर्शन की शिक्षा पाई।

शीघ्र ही उनकी रुचि चिकित्सा-शास्त्र में जगी और उन्होंने उसमें एम.डी. की उपाधि सन् 1609 में प्राप्त की। उन्होंने प्राकृतिक विज्ञानों का भी गहन अध्ययन किया और यूरोप के विभिन्न भागों की लंबी-लंबी यात्राएँ कीं। विनम्र वॉन हेल्मांट ज्ञान को ईश्वरीय कृपा मानते थे। उन्होंने अपना ज्यादातर जीवन ब्रसेल्स या विल्वोर्डे स्थित अपनी जायदाद में एकांत में ही बिताया।

इसी दौरान उन्होंने ज्यादातर वैज्ञानिक कार्य किया। पर उनके विचार व अनुसंधानों के परिणाम क्रांतिकारी थे और अपने प्रारंभिक प्रकाशनों के कारण ही उनका कैथोलिक चर्च से विवाद हुआ। इस कारण उनके शेष अनुसंधान परिणाम प्रकाशित नहीं हो पाए। वॉन हेल्मांट मूलतः एक चिकित्सक थे तथा उन्होंने पेरासेल्सस का शिष्य बनने से पूर्व गैलेन नामक प्राचीन चिकित्सक के कार्यों का गहन अध्ययन किया था।

चिकित्सा-शास्त्र संबंधी अपने अनुसंधान के आधार पर उन्होंने बताया था कि उदर में स्थित अम्ल पाचन-क्रिया में अहम भूमिका निभाता है। इसी तरह उन्होंने अस्थमा व अन्य साँस संबंधी बीमारियों को समझने की प्रक्रिया में अहम योगदान किया। उन्होंने मूत्र का भार संबंधी विश्लेषण किया। वे तुला (तराजू) का बहुत ज्यादा प्रयोग करते थे। इसी के माध्यम से उन्होंने यह सिद्ध किया कि पदार्थ नष्ट नहीं किया जा सकता है। उन्होंने पहले धातु को अम्ल में घोला और फिर वापस शुद्ध रूप में प्राप्त किया। इस प्रक्रिया में उन्होंने सिद्ध किया कि उसके भार में कोई कमी नहीं आई है। उस समय तक पश्चिम में कुछ पुरानी मान्यताएँ चल रही थीं; जैसे प्रकृति में मात्र चार तत्त्व हैं जैसे—मिट्टी, जल, वायु तथा अग्नि।

पेरासेल्सस ने तीन सिद्धांतों को सामने रखा था। इन सबके विपरीत वॉन हेल्मांट ने एक नई परिकल्पना सामने रखी थी, जिसके अनुसार प्रकृति की सभी चीजें जल और वायु से बनी हैं। इस संबंध में उन्होंने अनेक प्रयोग भी किए थे। उनका मानना था कि वनस्पति जल तथा वायु के संगम से उपजती है। वनस्पति को जलाने से राख बनती है और मिट्टी जैसी हो जाती है। अतः मिट्टी मौलिक तत्त्व नहीं है। अपनी अवधारणाओं को सिद्ध करने के लिए उन्होंने अनेक प्रयोग किए। उन्होंने 62 पाउंड चारकोल जलाया, जिससे मात्र 1 पाउंड ही राख प्राप्त हुई। शेष वायु में मिल गई और इस प्रकार उन्होंने ‘गैस’ शब्द का पहले-पहल प्रयोग किया। यह ‘गैस’ शब्द उन्होंने ग्रीक शब्द ‘चाओस’ से लिया था।

गैस की विशिष्टता तलाशते हुए उन्होंने बताया कि यह अल्कोहल या कार्बनिक पदार्थ जलाने से, बीयर या शराब के किण्वीकरण, चूने या शैलों पर अम्ल की प्रतिक्रिया से तथा कुछ झरनों के जल से भी निकलती है। उन्होंने अलग-अलग गैसों को पहचानने का प्रयास किया था और समझा था कि कुछ गैसें दहनशील होती हैं। पर उनके पास इन सब गुणों को दरशाने हेतु उपकरण नहीं थे और बाद में जोसेफ प्रस्टिले ने यह कार्य कर दिखाया।

उन्होंने यह भी जान लिया था कि यदि किसी मोमबत्ती को किसी बंद पात्र में जलाया जाए तो आस-पास की वायु का एक भाग उस प्रक्रिया में काम आता है। वॉन हेल्मांट आजीवन प्रयोग, अध्ययन व चिंतन करते रहे। इसके परिणाम स्वरूप अनेक विचार व परिकल्पनाएँ उभरकर आईं; जैसे—जैविक पदार्थों की तत्काल उत्पत्ति, एक ऐसा घोलक जिसमें सभी कुछ घुल सकता है।

ये सभी कालांतर में निर्मूल सिद्ध हुए। पर इनसे उनके कृतित्व का मूल्य कम नहीं होता है। उनका कार्य समय से बहुत आगे था और उनके समकालीन व बाद के वैज्ञानिकों को उनसे कार्य करने का आधार प्राप्त हुआ। रॉबर्ट बॉयल ने उनके कार्य को आगे बढ़ाया । चर्च के अधिकारियों के कोप से बचते हुए वे अपने एकाकी जीवन का सदुपयोग करते हुए अपने ज्ञान को कलमबद्ध करते रहे। मृत्यु-शय्या पर उन्होंने अपनी सारी पांडुलिपियाँ अपने पुत्र फ्रांसीसियस मरक्यूरियस को सौंप दीं और उन्हें बिना परिवर्तन के प्रकाशित करने के लिए कहा।

30 दिसंबर, 1644 को वॉन हेल्मांट का ब्रसेल्स में निधन हो गया। इसके चार वर्ष बाद उनका पूरा कार्य प्रकाशित होकर आया। बाद में उसका सन् 1662 में अंग्रेजी में तथा 1670 में फ्रेंच में अनुवाद प्रकाशित हुआ।

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