(Glauber's salt)
जन्म: | 10 March 1604 Karlstadt am Main, Germany |
मृत्यु: | 16 March 1670 (aged 66) Amsterdam, Netherlands |
राष्ट्रीयता: | German-Dutch |
जोहान रुडोल्फ ग्लॉबर
प्रख्यात रसायन-शास्त्री जोहान रुडोल्फ ग्लॉबर का जन्म जर्मन के कार्लस्टाड नामक स्थान पर, जो फ्रांकोनिया में है, में हुआ था। उनके पिता एक नाई थे और उनका निधन ग्लॉबर के बचपन में ही हो गया था। युवा ग्लॉबर यूरोप भर में इधर-उधर भटकता रहा। 21 वर्ष की उम्र में वह बीमार पड़ा, पर एक प्राकृतिक झरने का लवण-युक्त जल पीने से आश्चर्यजनक रूप से रोग-मुक्त हो गया। अब उसने रसायन-शास्त्री बनने की ठानी तथा पैरासेल्सस को अपना आदर्श बनाया। उनकी कब्र पर वह इस प्रकार जाता था, मानो तीर्थयात्रा कर रहा हो। सन् 1655 में ग्लॅबर एम्सटर्डम में बस गया। उसने अपने समय के रसायन-शास्त्र का पूरा अध्ययन कर लिया था। वह अनेक प्रकार के रसायन तैयार कर लेता था। उसने अनेक लवणों की पहचान भी की। ग्लॉबर एक कुशल लेखक भी थे। उन्होंने जर्मन में लगभग 40 पुस्तकों की रचना की। उनकी सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जानेवाली रचना सात खंडों में है। उसका प्रकाशन सन् 1658 में हुआ था और फिर उसका बार-बार प्रकाशन हुआ। उन्होंने रासायनिक भट्ठियों व रासायनिक प्रक्रियाओं पर भी उपयोगी पुस्तक लिखी, जो सन् 1651 में प्रकाशित हुई। ग्लॉबर आजीवन रासायनिक प्रयोग करते रहे। इस क्रम में उन्होंने पारा, आर्सेनिक व एंटीमनी संबंधी प्रयोग भी किए तथा उनके औषधीय गुणों को तलाशने का प्रयास किया। इस क्रम में इनके यौगिक उनके शरीर में प्रवेश करते रहे।
इस कारण मार्च 1670 में उनका एम्सटर्डम में निधन हो गया।