ऑटो वॉन ग्वारिके

ऑटो वॉन ग्वारिके

ऑटो वॉन ग्वारिके

जन्म: 20 नवंबर, 1602 (जर्मनी)
मृत्यु: 21 मई, 1686 (जर्मनी )

वैक्यूम पंप के आविष्कारक ऑटो वॉन ग्वारिके का जन्म 20 नवंबर, 1602 को मैग्डेलबर्ग, सैक्सोनी—जो जर्मनी में स्थित है—में हुआ था।

प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के पश्चात् ग्वारिके ने सन् 1617 से 1625 तक जर्मनी के प्रमुख शिक्षा केंद्रों लिपजिग, हेमस्टाड तथा जेना में अपनी शिक्षा पूरी की। उन्होंने गणित व यांत्रिकी जैसे विषयों का अध्ययन किया।

प्राचीन काल से ही विश्व के अन्य भागों की ही भाँति शून्य के अस्तित्व पर चर्चा चली आ रही थी। लोग पानी से भरे पात्र से पानी निकालकर शून्य उत्पन्न करने का प्रयास किया करते थे। ग्वारिके ने भी ऐसा ही प्रयास किया और पंप द्वारा पानी को निकाला। पर लोगों को विश्वास नहीं था और उन्हें लग रहा था कि पात्र की दीवारों से वायु अंदर चली जाएगी।

इसके लिए ग्वारिके ने धातु के बने पात्र से पंप द्वारा पानी निकाला तथा उसमें स्टॉप कॉर्क भी लगा था। इस प्रकार हवा का अंदर प्रवेश संभव नहीं था। उपर्युक्त शून्य (वैक्यूम) को उन्होंने जगह-जगह प्रदर्शित किया। उनके उस प्रदर्शन से न केवल शून्य के अस्तित्व का अहसास हुआ वरन् वायुमंडल के दबाव की शक्ति का भी ज्ञान हुआ। 8 मई, 1654 को उन्होंने रीजेंसबर्ग में अपना प्रयोग प्रदर्शित किया, जिसमें खोखले गोले—जो दो अधगोलों से बने थे और उनके अंदर की हवा पंप द्वारा निकाल ली गई थी—को अलग-अलग करने के लिए 8-8 (कुल 16) घोड़े लगाए; पर वे घोड़े पूरा दम लगाकर भी उन दो अधगोलों को अलग नहीं कर पाए।

इससे आम जनता को वायुमंडलीय दबाव की महत्ता का अहसास हुआ। उपर्युक्त प्रयोग से पे्ररेणा पाकर ऑटो वॉन ग्वारिके ने पानी-युक्त बैरोमीटर तैयार किया। उन्होंने शून्य की अन्य विशेषताओं का भी वर्णन किया; जैसे—उसमें मोमबत्ती बुझ जाती थी, उससे होकर ध्वनि आगे नहीं बढ़ती थी। ग्वारिके ने वायु के लचीलेपन का प्रदर्शन भी किया। उन्होंने गंधक के गोले को घुमाकर एक विद्युत् मशीन के रूप में उसे प्रयोग किया। उन्होंने दिखाया कि किसी चीज को रगड़ा जाता था तो वह गंधक के गोले के प्रति आकर्षित होता है, पर जब एक बार स्पर्श कर दिया जाता है तो फिर विकर्षित होने लगता है।

इसी प्रकार उन्होंने चुंबकत्व के क्षेत्र में प्रयोग किए। उन्होंने पाया कि यदि लोहे को उत्तर-दक्षिण दिशा की ओर रखकर हथौड़े से पीटा जाता है तो वह चुंबकीकृत हो जाता है। उस काल में काफी राजनीतिक उथल-पुथल हुई, पर फिर भी ग्वारिके अपना वैज्ञानिक अनुसंधान करते रहे। वे वरिष्ठ सरकारी पदों पर रहे। अपने अनुसंधानों को वे कलमबद्ध करते रहे। शून्य पर उनकी रचना सन् 1672 में प्रकाशित हुई और उसमें उनके द्वारा किए तमाम प्रयोग थे। उनके प्रयोगों का विवरण अन्य रचनाकारों की रचनाओं में भी प्रकाशित हुआ।

सन् 1678 में ऑटो वॉन ग्वारिके सरकारी पद से मुक्त हुए और हैंबर्ग में अपने पुत्र के घर में रहने लगे। वहीं पर 21 मई, 1686 को उनका निधन हो गया।

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