जन्म: | सन् 1370 सलातूर (केरल) भारत |
मृत्यु: | सन् 1460 |
परमेश्वर
गणितज्ञ व खगोल-शास्त्री परमेश्वर का जन्म सलातूर (केरल) में सन् 1370 के आस-पास हुआ था। यह भी माना जाता है कि उनका जन्म एक नंबूदरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। यह ज्योतिषियों व खगोल-शास्त्रियों का परिवार था। स्वयं परमेश्वर ने उज्जैन के संदर्भ में अपने गाँव का निर्देशांक समझाया है। परमेश्वर ने अपने काल के श्रेष्ठ गुरुओं से शिक्षा ली थी, जिनमें रुद्र, माधव एवं नारायण का नाम अग्रगण्य है। उनकी रचनाओं में गुरुओं के विचारों का भी समावेश है और उन्होंने श्रेष्ठ भारतीय गणितज्ञों के कार्य पर भी शोध किया और टीकाएँ लिखीं।
उनके प्रमुख कार्यों में खगोलीय पिंडों की औसत गति, खगोलीय पिंडों की शुद्ध गति, विभिन्न गणितीय नियम, निर्देशांकों की प्रणालियाँ, दिशा, स्थान तथा समय, सूर्य व चंद्र ग्रहण के अध्ययन शामिल हैं। विशेष बात यह है कि परमेश्वर ने लगभग 55 वर्षों तक सूर्यग्रहण व चंद्रग्रहण के प्रेक्षण लिये। अपनी विभिन्न रचनाओं में उन्होंने ग्रहण संबंधी प्रेक्षणों का वर्णन किया। उन्होंने सिद्धांतों के अनुसार ग्रहों की स्थिति का आकलन किया और फिर अपने प्रेक्षणों से प्राप्त परिणामों से उन्हें मिलाया। इस प्रकार उन्होंने सैद्धांतिक मॉडलों में सुधार का हरसंभव प्रयास किया। उस वृत्त की त्रिज्या ज्ञात करने, जिसमें चक्रीय चतुर्भुज स्थित हो, की विधि का श्रेय एक पश्चिमी गणितज्ञ को दिया जाता है; पर परमेश्वर ने इस विधि को उनसे 350 वर्ष पूर्व ही विकसित कर लिया था। उनके अनुसार, यदि चक्रीय चतुर्भुज की भुजाएँ a,b,c तथा d हों तो परिवृत्त की त्रिज्या की गणना इस प्रकार की जाएगी— यहाँ पर x = (ab + cd) (ac + bd) (ad + bc) तथा y = (a + b + c - d) (b + c + d - a) (d + a + b - c) अनुमानों के अनुसार,
परमेश्वर का निधन सन् 1460 में हुआ था।