
अभय सिंह
(इंजीनियर बाबा)
जन्म: | ससरोली गांव, हरियाणा |
पिता: | करण ग्रेवाल |
माता: | शीला देवी |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
धर्म : | हिन्दू |
शिक्षा: | IIT बॉम्बे से इंजीनियरिंग सब्जेक्ट एयरोस्पेस |
इंजीनियर बाबा अभय सिंह जीवन परिचय :-
उन्होंने बताया कि उनका जन्म 3 मार्च 1990 में ससरोली गांव, हरियाणा में हुआ था। उनके पिता का नाम करण ग्रेवाल तथा उनकी माता का नाम शीला देवी है। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वहीं की, इसके बाद वे जेई की तैयारी करने लगे। इसके बाद वे एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के लिए मुंबई आईआईटी गए। जहां उनके जीवन ने अलग-अलग मोड़ लिए। उन्होंने बताया कि आईआईटी से जब में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कर रहा था तो मुझे लगता था कि यही सब कुछ है। बाद में जब मैं अध्यात्म की ओर अग्रसर हुआ तो अब मुझे लगता है कि असली साइंस यही है।
इंजीनियर बाबा अभय सिंह की शिक्षा :-
अभय ने 12वीं कक्षा तक झज्जर में ही पढ़ाई की। उसके बाद, उसने IIT-दिल्ली में प्रवेश के लिए तैयारी शुरू कर दी। पहले ही प्रयास में, उसने 2008 में आईआईटी-मुंबई में प्रवेश प्राप्त कर लिया। तब वह 18 साल का था। 2014 में बीटेक पूरा करने के बाद, अभय ने वहीं से एमटेक किया। इंजीनियर बाबा के नाम से इंटरनेट पर वायरल हो रहे अभय सिंह का दावा है कि वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT-B) के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने वहां से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। उन्होंने अपने अनोखे अंदाज से महाकुंभ में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।जूना अखाड़े से जुड़े अभय सिंह चित्र और आरेखों की मदद से जटिल आध्यातिमक अवधारणाओं को सरल तरीके से श्रद्धालुओं को समझाते हैं।
बाबा अभय सिंह की मां ने क्या कहा:-
अभय की मां शीला देवी जो एक वकील भी हैं ने पिता करण ग्रेवाल की भावनाओं को दोहराया। उन्होंने कहा कि हर माता-पिता यही चाहते हैं कि उनके बच्चे घर बसाएं और एक स्थिर पारिवारिक जीवन व्यतीत करें। मैं बस यही प्रार्थना कर सकती हूं कि अभय जो भी करने का फैसला करे, जहां भी जाने का फैसला करे, उसे खुशी मिले। उसकी एक बड़ी बहन है जिसके साथ उसका गहरा रिश्ता था। शादी के बाद वह कनाडा चली गई और अब अमेरिका में रहती है।
जीवन के बारे में बताई अहम बात :-
अभय सिंह का कहना है कि इंजीनियरिंग के दौरान उनका खासा झुकाव ह्नयुमिनिटी की ओर था। इस बाबत उन्होंने दर्शन से जुड़े अलग-अलग ग्रंथों और दार्शिनिकों को पढ़ा। इस दौरान उनकी डिजाइनिंग में भी रुचि बढ़ी। जिसके चलते उन्होंने दो सालों तक डिजाइनिंग भी सीखी। बाद में उन्होंने काफी समय तक फोटोग्राफी करने वाली एक कंपनी में भी काम किया, लेकिन कुछ समय बाद वहां से भी उनका मन उचाट हो गया। इस दौरान वे डिप्रेशन में चले गए। जिससे निकलने के लिए वे कनाडा में काम करने भी गए। जहां उन्होंने नौकरी भी की। जहां उनकी सैलरी तीन लाख प्रति महीने थी. उसके बाद सैलरी में इजाफा भी हुआ। हालांकि वहां भी उनका मन नहीं लगा। बाद में कोरोना के दौरान वे भारत आ गए। इसके बाद उन्होंने दर्शन से जुड़े विषयों का अध्ययन शुरू किया और अपने जीवन का सार समझने की कोशिश शुरू की। अब उनका कहना है कि उन्होंने अपना जीवन भगवान को समर्पित कर दिया है। भक्ति में उनको वो सुकून मिल रहा है जो वे खोज रहे थे।
पढ़ाई खत्म होने के बाद मिला था लाखों का पैकेज
मीडिया इंटरव्यू में अभय सिंह ने दावा किया कि बॉम्बे IIT से पढ़ाई पूरी करने के बाद वो कैंपेस इंटरव्यू में बैठे थे. इसमें उनका सिलेक्शन हो गया था. उन्हें एक कंपनी से लाखों का पैकेज ऑफर हुआ था. उन्होंने कुछ दिन नौकरी की.
ट्रैवल फोटोग्राफी के लिए छोड़ दी नौकरी :-
अभय सिंह के मुताबिक, उन्हें स्कूल के दिनों से फोटोग्राफी का शौक था. खासतौर पर वो ट्रैवेल फोटोग्राफी एन्जॉय किया करते थे. वो इससे रिलेटेड कोई कोर्स करना चाहते थे. इसलिए एक दिन इंजीनियरिंग छोड़ दी. फिर ट्रैवल फोटोग्राफी का कोर्स किया. इसी दौरान जिंदगी को लेकर उनकी फिलॉसफी बदल गई. उन्होंने कुछ समय के लिए अपना एक कोचिंग सेंटर भी खोला. यहां फिजिक्स पढ़ाया करते थे. लेकिन, उनका मन नहीं लगता था. उनका मन आध्यात्म में लगने लगा था.
इंजीनियरिंग से इतर पढ़ते थे फिलॉसफी :-
इंजीनियर बाबा ने बताया, "इंजीनियरिंग करते हुए मैं फिलॉसफी से कनेक्ट होने लगा. कोर्स से इतर जाकर मैं दर्शनशास्त्र की किताबें पढ़ता था. जिंदगी का मतलब समझने के लिए मैंने नवउत्तरावाद, सुकरात, प्लेटो के आर्टिकल और किताबें पढ़ ली थीं. फिर एक समय आध्यात्म का रास्ता चुन लिया."
अध्यात्म' केवल एक व्यक्तिगत खोज नहीं :-
बाबा अभय सिंह कहते हैं कि 'अध्यात्म' केवल एक व्यक्तिगत या अलग-थलग खोज नहीं है। यह वह सार है जो भारत के संपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक ताने-बाने को बांधता है।
अभय सिंह का पूरा जीवन महादेव को समर्पित :-
एक मीडिया चैनल को दिए साक्षात्कार में इंजीनियर बाबा ने बताया कि उन्होंने अपना पूरा जीवन महादेव को समर्पित कर दिया है. उन्होंने विज्ञान और एयरोस्पेस की पढ़ाई की थी, लेकिन अब पूरी तरह से अध्यात्म से जुड़ गए हैं. अब विज्ञान के जरिए आध्याम की गहराइयों को समझ रहे हैं. अपनी शक्ति के लिए आईआईटियन बाबा ने अपने नाखून भी बढ़ा लिए हैं. उन्होंने कहा कि वह जेंटल हो जाएं, अवेयर हो जाएं इसके लिए उन्होंने अपने नाखून बढ़ाए हैं.
इंजीनियर बाबा ने अपनी पूरी जिंदगी भगवान शिवशंकर को समर्पित कर दी है. उन्होंने बताया, "अब आध्यात्म में मजा आ रहा है. मैं साइंस के जरिए आध्यात्म को समझ रहा हूं. इसकी गहराइयों में जा रहा हूं. सब कुछ शिव है. सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है."
2025 महाकुंभ में अभय सिंह :-
महाकुंभ में आगमन को लेकर इंजीनियर बाबा ने कहा कि यहां आकर मन को शांति मिल रही है. संगम में डुबकी लगाकर वो मन की शांति की तलाश कर रहे हैं. इससे पहले वो कई धार्मिक शहरों में भी रह चुके हैं. आगे भी इस आध्यात्मिक सफर में आगे बढ़ना चाहते हैं. बाबा ने कहा उन्होंने बॉलीवुड फिल्म 'थ्री इडियट्स' के जैसा इंजीनियरिंग कर अलग क्षेत्र चुना. अब आध्यात्म में मजा आ रहा है.
रुद्राक्ष की माला और शांत चेहरे के साथ, अभय सिंह का साधु जीवन हर किसी के लिए जिज्ञासा का विषय बन गया है, उनका जीवन उन लोगों के लिए भी प्रेरणा है, जो भौतिक सुखों से परे कुछ अर्थपूर्ण खोज रहे हैं, इंस्टाग्राम आईडी पर उनकी हर पोस्ट काफी कुछ सोचने को हमें मजबूर करती है, उनके अकाउंट पर कुछ ऐसी भी तस्वीरें हैं जो उनके भीतर चल रहे हर संघर्ष का खुद से जवाब है। जिसे देखकर हर कोई अपने-अपने ढंग से समझते हुए इंटरनेट मीडिया पर प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं।
विज्ञान की दुनिया से संन्यास की ओर :-
: अभय सिंह ने 2021 में कनाडा से लौटने के बाद महादेव की शरण में जाने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि, “महादेव ने मुझे वो रास्ता दिखाया, जिसे मैं पहले 9 सालों से तलाश रहा था।” यह बदलाव न केवल उनके लिए, बल्कि उनके आस-पास के लोगों के लिए भी चौंकाने वाला था। एक प्रतिष्ठित संस्थान से डिग्री और दुनिया में नाम कमाने की बजाय, अभय ने अपनी खोज को आंतरिक शांति और आत्मिक अनुभव की ओर मोड़ लिया।
अभय का कहना है कि, “साइंस ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, लेकिन आध्यात्म ने मुझे जीवन के असल अर्थ से जोड़ा।” उन्होंने दर्शनशास्त्र, सुकरात, प्लेटो और नवउत्तरावाद पर आधारित किताबों का गहरे से अध्ययन किया और यह समझा कि जीवन की गहरी सच्चाई को जानने के लिए आंतरिक यात्रा ही सबसे अहम है।
को समर्पित है। वे कहते हैं, “अब मुझे आध्यात्म में ही असली आनंद मिल रहा है। सब कुछ शिव है, और शिव ही सत्य है।” उनका मानना है कि, जब हम ज्ञान की खोज करते हैं, तो अंत में हम केवल एक ही सच्चाई तक पहुंचते हैं —
अभय सिंह के जीवन में एक और महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने अपने एक पोस्ट में कहा, “मां-बाप भगवान नहीं हैं, भगवान खुद ही भगवान है।” उन्होंने यह स्पष्ट किया कि अगर हम ईश्वर के बारे में बात करें तो हमें उसकी असल महिमा को समझना चाहिए, न कि केवल उसे एक रूप में संकुचित करना। “जिसे हम ईश्वर कहते हैं, वही सबसे बड़ा और सत्य है, और यह जीवन का सबसे गहरे सच्चाई है।”
अभय सिंह के विचारों में एक गहरी समझ है, जो आज के भौतिकवादी समाज में खोए हुए उद्देश्यों और आस्थाओं को न केवल दिखाती है, बल्कि उसे हमें देखने का एक नया दृष्टिकोण भी देती है। वे मानते हैं कि जीवन के हर पहलू को एक यंत्र की तरह देखा जा सकता है, जिसमें हमारी आँखें उस यंत्र का हिस्सा हैं जो ऊर्जा और शक्ति को देखने का माध्यम बनती हैं।
IITian बाबा अभय सिंह का संदेश :-
महाकुंभ 2025 में अभय सिंह की उपस्थिति न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन के बदलाव को दर्शाती है, बल्कि यह समाज को एक शक्तिशाली संदेश भी देती है। उनकी यात्रा यह बताती है कि, आंतरिक शांति और संतुलन को हासिल करने के लिए हमें बाहरी दुनिया से परे जाकर खुद के भीतर झांकने की आवश्यकता है। यह हमें यह भी सिखाता है कि सफलता का मतलब केवल बाहरी उपलब्धियाँ नहीं, बल्कि आत्मिक संतोष और शांति है |