
स्वामी कैलाशानंद गिरि
(आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि)
जन्म: | देवघर, जमुई, बिहार |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
धर्म : | हिन्दू |
स्वामी कैलाशनंद गिरी जी की जीवन परिचय :-
निरंजन पीठाधीश्वर श्रीश्री 1008 आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज का जन्म 1 जनवरी 1976 को बिहार के जमुई में देवघर के पास एक छोटे से गांव में हुआ था। वे बचपन में ही गृह त्याग कर आध्यात्मिक जीवन की ओर चल पड़े थे। साधु-संतों की संगति में रहते हुए उनकी वैदिक सनातन धर्म के प्रति जिज्ञासा दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई, इसलिए उन्होंने वैदिक शिक्षा का अधिक ज्ञान प्राप्त करने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने कई आश्रमों में जाकर वैदिक धर्म, वेद, पुराण, उपनिषद और योग के बारे में बहुत कुछ सीखा।
स्वामी कैलाशानंद जी महाराज एक हिंदू आध्यात्मिक गुरु के रूप में :-
स्वामी कैलाशानंद जी महाराज एक हिंदू आध्यात्मिक गुरु, संत, योग गुरु और हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत भाषाओं के विद्वान और लेखक हैं। स्वामी कैलाशानंद गिरि जी निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर हैं। निरंजनी अखाड़े के प्रथम व्यक्ति के रूप में वे लाखों नागा साधुओं के संन्यासी और हजारों महामंडलेश्वरों के गुरु हैं। उन्होंने लाखों नागा साधुओं और हजारों महामंडलेश्वरों को दीक्षा दी और उनके प्रथम गुरु हैं। उनकी पुस्तकें भारतीय संस्कृति, परंपराओं और प्राचीन भारतीय धर्म वैदिक सनातन धर्म पर आधारित हैं।
महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी निरंजनी अखाड़ा का पीठाधीश्वर हैं. वे जिस तरह से किसी भी देश में प्रधानमंत्री के ऊपर राष्ट्रपति होता है, उसी तरह से संतों में भी प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के समक्ष एक उपाधि होती है.
संतों में शंकराचार्य का पद सबसे बड़ा होता है. इन्हें संतों का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है. शंकराचार्य के बाद सभी 13 अखाड़ों के अपने-अपने आचार्य महामंडलेश्वर होते हैं. स्वामी कैलाशानंद साल 2021 में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बने | इससे पहले वे अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पर आसीन थे |
जिसे स्वामी कैलाशानंद जी ने बखूबी निभाया और परिणाम स्वरूप वर्ष 2013 में प्रयागराज महाकुंभ में अग्नि अखाड़े ने पूज्य स्वामी जी को अपने अखाड़े के महामंडलेश्वर पद पर विराजमान किया। यह पूज्य स्वामी जी की कड़ी मेहनत का ही परिणाम था कि मात्र 38 वर्ष की आयु में उन्होंने वैदिक सनातन धर्म के बड़े और प्रतिष्ठित पद महामंडलेश्वर का पदभार ग्रहण किया
14 घंटे तक लगातार भगवान शिव का महारुद्राभिषेक :-
सावन में प्रतिदिन करीब 14 घंटे तक लगातार भगवान शिव का महारुद्राभिषेक लोगों के बीच कौतुहल का विषय बना हुआ है। किसी जिज्ञासा के चलते सावन में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दक्षिण काली मंदिर में आने लगे हैं। स्वामी जी का पूरे सावन माह मौन व्रत धारण कर लगातार 14 घंटे भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है। देश-विदेश में पूज्य स्वामी जी लगातार चर्चा का विषय बनते जा रहे हैं। देश की बड़ी-बड़ी हस्तियां पूज्य स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी जी से मिलने हरिद्वार आने लगी हैं।
इसके बाद 2016 के सिंहस्थ कुंभ में अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर श्री रसानंद महाराज, जो कि काफी स्वस्थ हो रहे थे, को श्री गोपालानंद ब्रह्मचारी ने समस्त निवासों एवं अनुष्ठान स्थलों की जिम्मेदारी सौंपी। महामंडलेश्वर पद पर रहते हुए उनकी पूजा-अर्चना के पद बढ़ते गए और देश-विदेश में भगवद्गीता के प्रचार का युग प्रारंभ हुआ।
लेकिन वर्ष 2018 में अग्नि अखाड़े के प्रमुख श्री गोपालानंद ब्रम्हचारी का समर्थन वापस ले लिया गया। श्री गोपालानंद ब्रम्हचारी का निधन अग्नि अखाड़े के सदस्यों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे संत समुदाय के लिए एक क्षति थी। उनके निधन के बाद 2018 में सभी आश्रमों की जिम्मेदारी उनके पूज्य को सौंप दी गई।
पंचायती अखाड़ा निरंजनी :-
पंचायती अखाड़ा निरंजनी का नाम सबसे बड़े अखाड़ों में से एक माना जाता है, एक ऐसा अखाड़ा जिसमें सबसे ज्यादा करीब 19 लाख नागा साधु हैं | और ज्यादातर पढ़े-लिखे साधु हैं. निरंजनी अखाड़ा सभी अखाड़ों में बहुत लोकप्रिय है। अखाड़े के इष्टदेव भगवान कार्तिकेय हैं, जो देव सेनापति हैं। निरंजनी अखाड़े की स्थापना विक्रम संवत 960, कार्तिक कृष्ण पक्ष सोमवार को गुजरात के मांडवी में हुई थी। महंत अजी गिरि, मौनी सरजू नाथ गिरि, पुरूषोत्तम गिरि, हरिशंकर गिरि, रणछोर भरत, जगजीवन भारती, अर्जुन भारती, जगन्नाथ पुरी, स्वभाव पुरी, कैलाश पुरी, खड्ग नारायण पुरी, स्वभाव पुरी ने संयुक्त रूप से अखाड़े की नींव रखी थी। अखाड़े का मुख्यालय तीर्थराज प्रयाग में स्थित है। अखाड़े के मठ उज्जैन, हरिद्वार, त्रयंबकेश्वर और उदयपुर में स्थित हैं। शैव परंपरा के अखाड़े निरंजनी अखाड़े के करीब 70 फीसदी साधुओं ने उच्च शिक्षा हासिल की है।
कई नामचीन हस्तियां स्वामी कैलाशानंद की भक्त :-
कई बड़ी हस्तियां हैं कैलाशानंद गिरि के भक्त: आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के भक्तों में कई ऐसे नामचीन हस्तियां हैं, जिनकी काफी फैन फॉलोइंग और पहचान है. जो समय-समय पर हरिद्वार स्थित काली मंदिर में स्वामी कैलाशानंद गिरि से मिलने पहुंचते हैं. स्वामी कैलाशानंद गिरि के शुरुआती शिष्य की अगर बात करें तो उत्तर प्रदेश में रहने के बाद उनसे अखिलेश परिवार जुड़ा. वे अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव के भी आध्यात्मिक गुरु हैं |
बॉलीवुड अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत भी केदारनाथ से लेकर हरिद्वार आश्रम में उनका प्रवचन सुनने के लिए पहुंच चुकी हैं. उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जब भी दौरा हुआ, तब भी उन्हें सरकार ने आमंत्रित किया. कई बड़े आयोजनों में वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिल चुके हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर हरियाणा, बिहार और यूपी के मुख्यमंत्री हो या उद्योग जगत के बड़े नाम उनके यहां आते रहे हैं.
इसके अलावा दिवंगत राजनेता अमर सिंह का भी उनसे गहरा लगाव था. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार के दौरान कई बार मुलायम सिंह यादव का परिवार उनसे हरिद्वार में आकर मिला तो कभी उन्हें अपने लखनऊ स्थित आवास पर बुलाया. हर छोटे-बड़े आयोजन में स्वामी कैलाशानंद गिरि साथ दिखते रहे हैं.
स्वामी कैलाशानंद गिरि के सानिध्य में अभिनेत्री कंगना रनौत, मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में भी स्वामी कैलाशानंद गिरि को देखा गया. जब वे वर-वधु को आशीर्वाद देने के बाद मुकेश अंबानी से मिल रहे थे. टीवी कलाकार या खेल जगत की बात करें तो सुरेश रैना से लेकर प्रवीण यादव और ऋषभ पंत भी उनका आशीर्वाद ले चुके हैं. बीते कुछ समय से रैपर और सिंगर यो यो हनी सिंह भी लगातार कम बैक करने से पहले उनके आश्रम में पहुंचकर उनसे आशीर्वाद लेते हुए दिखाई दिए हैं.
स्वामी कैलाशानंद फिलहाल हरिद्वार स्थित काली मंदिर के प्रमुख हैं. अखिलेश यादव, मुलायम सिंह, रैपर हनी सिंह, सुरैश रैन, ऋषभ पंत, कंगना रनौत आदि कई बड़े कालाकार और पॉलिटिशियन स्वामी कैलाशानंद गिरी से आशीर्वाद ले चुके हैं.
एप्पल के को-फाउंडर की पत्नी को दिया अपना गोत्र :-
इस बार यह महाकुंभ यूपी के प्रयागराज में हो रहा है. जिसमें हिस्सा लेने के लिए प्रसिद्ध अमेरिकी कारोबारी और एप्पल के सह-संस्थापक रहे स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी पहुंचीं हुई हैं, जिसकी चर्चाएं चारों ओर हो रही है. लॉरेन ने प्रयागराज कुंभ में न केवल आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि को अपना गुरु बनाया है, बल्कि कल्पवास कर सनातन के प्रति अपनी आस्था को भी जताया है |
चर्चाओं में आए स्वामी कैलाशानंद गिरि: दुनिया की सबसे अमीर महिलाओं में से एक लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने महाकुंभ में आकर न केवल अपने परिवार बल्कि, उनके जैसे अन्य लोगों को भी ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिरकार ऐसा सनातन धर्म में है क्या? जिसके प्रति वो आकर्षित हुई हैं. निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने उन्हें नया नाम 'कमला' दिया है. साथ ही अपना गोत्र देकर एक नई दिशा दिखाई है. अब लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिरकार स्वामी कैलाशानंद गिरि कौन हैं? जिनके प्रभाव में आकर लॉरेन पॉवेल जॉब्स से कमला बन गईं.
एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल भी स्वामी कैलाशानंद को अपना आध्यात्मिक गुरु मानती हैं. स्वामी कैलाशानंद ने लॉरेन को अपना गोत्र देकर एक नई दिशा दिखाई है, यहां तक कि उन्हें एक नया नाम दिया है ‘कमला’ |
ऐसे महान संत स्वामी कैलाशानंद गिरि के चरणों में वंदन।।