
तुलसी गौड़ा
(जंगल का इनसाइक्लोपीडिया)
जन्म: | 1944, कर्नाटक |
जीवनसंगी: | गोविंद गौड़ा |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
धर्म : | हिन्दू |
शिक्षा: | अशिक्षित |
अवॉर्ड: | पद्म श्री अवार्ड 2021 |
तुलसी गौड़ा का जीवन परिचय :-
बदन पर धोती लपेटे नंगे पाँव पद्मश्री पुरस्कार लेने पहुंची तुलसी गौड़ा के बारे में आज हर कोई जानना चाहता है। तुलसी गौड़ा कौन हैं? तुलसी गौड़ा को पद्मश्री अवार्ड क्यों दिया गया? ऐसे तमाम सवाल लोगों में जेहन में उठ रहे हैं।
तुलसी गौड़ा का जन्म कर्नाटक के हलक्की जनजाति के एक परिवार में हुआ था. तुलसी का परिवार एक बेहद गरीब परिवार था. तुलसी के जन्म के कुछ समय बाद ही उनके पिता की भी मृत्यु हो गई थी.
इस कारण अपने परिवार की मदद करने के लिए तुलसी गौड़ा ने कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था. काम के चलते तुलसी गौड़ा कभी भी स्कूल नहीं जा पाई.
11 साल की उम्र में ही तुलसी गौड़ा की शादी हो गई थी, लेकिन उनके पति भी ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रहे. ऐसे में अपनी जिंदगी के दुख और अकेलेपन को दूर करने के लिए तुलसी गौड़ा ने पेड़-पौधों का ख्याल रखना शुरू किया.
धीरे-धीरे पर्यावरण की ओर तुलसी की दिलचस्पी बढ़ी. वनस्पति संरक्षण के लिए तुलसी राज्य के वनीकरण योजना में बतौर कार्यकर्ता शामिल हो गई. साल 2006 में तुलसी को वन विभाग में वृक्षारोपक की नौकरी मिल गई.
तुलसी गौड़ा ने लगभग 14 साल तक वृक्षारोपक की जिम्मेदारी निभाई. इस दौरान तुलसी गौड़ा ने अनगिनत पेड़-पौधे लगाए. साथ ही उन्होंने जैविक विविधता संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
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पेड़-पौधे लगाने और उन्हें बड़ा करने के अलावा तुलसी गौड़ा ने वन्य पशुओं का शिकार रोकने और जंगली आग के निवारण के क्षेत्र में भी बहुत काम किया है. इसके अलावा उन्होंने पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली सरकारी गतिविधियों का विरोध भी किया.
तुलसी गौड़ा भले ही कभी स्कूल नहीं गई, लेकिन उनका ज्ञान किसी पर्यावरण वैज्ञानिक से कम नहीं है. तुलसी गौड़ा को हर तरह के पौधों के बारे में जानकारी है. जैसे किस पौधे के लिए कैसी मिट्टी अनुकूल है, किस पौधे को कितना पानी देना है आदि.
सेवा-निवृत्त होने के बाद भी तुलसी गौड़ा ने पर्यावरण के प्रति अपने प्यार को कम नहीं होने दिया और वह वनों के संरक्षण के लिए काम करती रही. इसके अलावा तुलसी गौड़ा ने बच्चों को भी पेड़ों के महत्व के बारे में जागरूक किया. तुलसी गौड़ा का कहना है कि, ‘अगर जंगल बचेंगे, तो यह देश बचेगा. हमें और जंगल बनाने की आवश्यकता है.’
सेवा-निवृत्त होने के बाद भी तुलसी गौड़ा पेड़ लगाती रही. अपने जीवनकाल में तुलसी गौड़ा ने एक लाख से भी अधिक पेड़-पौधे लगाए है. तुलसी गौड़ा को जंगलों की इतनी समझ है कि उन्हें ‘जंगल का इनसाइक्लोपीडिया’ भी कहा जाता है.
तुलसी गौड़ा का परिवार – Tulsi Gowda Family
बहुत कम उम्र में ही तुलसी के पिता की मौत हो गई। जिसके बाद तुलसी ने अपने माँ और बहनो के साथ काम करना शुरू कर दिया। तुलसी जब 11 साल की थीं तभी उनकी शादी करा दी गई। लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने अपने पति को भी खो दिया। अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए तुलसी ने पेड़ पौधों की देख रेख में अपना जीवन लगा दिया।
तुलसी गौड़ा को देश का चौथा सबसे बड़ा सम्मान
आठ नवंबर 2021 के दिन तुलसी गौड़ा को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाज़ा गया। दरअसल तुलसी ने अपनी पूरी ज़िंदगी पर्यावरण को समर्पित कर दी। इतना ही नहीं तुलसी को पेड़ों के बारे में बहुत अच्छी जानकारी है। यही कारण है कि तुलसी को जंगल का इनसाइक्लोपीडिया (Women Encyclopedia of Forest) भी कहा जाता है। एक अस्थायी स्वयंसेवक के रूप में तुलसी वन विभाग में भी शामिल हैं। वह दूसरों को भी सिखाती हैं कि पेड़ों का हमारी ज़िंदगी में क्या महत्व है।